मां बाप की सेवा ही सच्ची सेवा है - आनन्द जी महाराज

संवाददाता__नरसिंह यादव, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
मां बाप की सेवा से बड़ा कोई सेवा नहीं है लेकिन संस्कार के अभाव में आज सबसे अधिक उपेक्षित घर के बूढ़े मां बाप ही हैं लोग मां बाप की उपेक्षा कर मन्दिर पर देवताओं के दर्शन करने जाते हैं उससे कोई भला होने वाला नहीं है।
उक्त बातें गगहा विकास खंड के ढरसी में चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के दुसरे दिन परम पूज्य वृन्दावन धाम से पधारे आनन्द जी महाराज ने व्यास पीठ से उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कही उन्होंने कहा कि आज लोग गर्मी की व्याकुलता से परेशान हैं लेकिन इसके जिम्मेदार भी हम और आप ही हैं।मानव अपने स्वार्थ व साम्राज्य स्थापित करने के चक्कर में प्रकृति से भी छेड़छाड़ करता जा रहा है आज हर व्यक्ति को कम से कम दस पौधे जरूर लगाने चाहिए जिसमें फलदार वृक्ष के साथ बरगद पीपल नीम का पेड़ लगाने का व्यास पीठ से निवेदन किया। उन्होंने कहा कि वृक्ष जैसा परोपकारी संसार में कोई नही है, वृक्ष का पूरा जीवन परोपकार के लिए है। वृक्ष हमे क्या नही देता पत्ता देता लकड़ी देता फल देता यहां तक उसकी गोद छाल जड़ तक हमारे काम में आता केवल इतना ही नही जब लकड़ियों को जला दिया जाता है तो उसका राख भी हमारे काम में आता है। आज कल अंधाधुन तरीके से वृक्षों को काटा जा रहा है। जो हमारे पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। एक वृक्ष दश पुत्र के सामान होता है, पर आज कल विकास के नाम पर विशाल वृक्षों को काट कर लोग गमलों में लगा रहे हैं। मानवों के इस व्यवहार को देख कर किसी वृक्ष ने कहा होगा काट कर मुझे विकास हो रहा है। गमले में लगा कर उपहास हो रहा हैं।। महाराज जी ने कथा का विस्तार करते हुवे कहा कि अगर गुरु कृपा कर दे तो अपने शिष्य को गुप्त से गुप्त ज्ञान भी प्रदान कर देता है एक गुरु अपने पुत्र से ज्यादा अगर किसी से प्रेम करता हैं तो वो है उनका प्रिय शिष्य गुरु शिष्य जैसा निर्मल सम्बंध आज तक बना ही नही है। गुरु द्रोणाचार्य का एक ही पुत्र था अश्वत्थामा पर अर्जुन के गुरु भक्ति से इतने प्रसन्न हुवे कि जो विद्या अपने प्रिय पुत्र को नही दिए वो ज्ञान अपने प्रिय शिष्य अर्जुन को प्रदान किए। जिससे वह एक श्रेष्ठ धनुर्धारी बने। अगर गुरु प्रसन्न हो जाय तो ना केवल ज्ञान ही बल्कि परमात्मा का भी साक्षात्कार हो जाता है। शास्त्रों में गुरु की खूब महिमा का वर्णन है।इस अवसर पर आचार्य अतुल दूबे, आचार्य शशिकांत मिश्र, मुख्य यजमान घनश्याम तिवारी व श्रीमती गिरिजा देवी, ज्वाला तिवारी, योगेश तिवारी,वैभव तिवारी, संजय ओझा, राम नगीना त्रिपाठी, रमेश तिवारी, कमला तिवारी, रत्नाकर त्रिपाठी,अनूप दूबे, राधेश्याम तिवारी,शैलेश दूबे, राजेश सिंह, संजय मिश्रा सहित अनेकों लोग मौजूद रहे।