मोदी सरकार का पेंशनभोगियों को तोहफा: पेंशन अदालतों से त्वरित न्याय, वित्तीय सुरक्षा और सम्मान का संकल्प

मोदी सरकार का पेंशनभोगियों को तोहफा: पेंशन अदालतों से त्वरित न्याय, वित्तीय सुरक्षा और सम्मान का संकल्प
मोदी सरकार का पेंशनभोगियों को तोहफा: पेंशन अदालतों से त्वरित न्याय, वित्तीय सुरक्षा और सम्मान का संकल्प

नई दिल्ली, 12 फरवरी 2025प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिक-केंद्रित और मानवीय शासन के दृष्टिकोण को साकार करते हुए केंद्र सरकार वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनभोगियों को सम्मान, सरल जीवनयापन और वित्तीय सुरक्षा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। 12वीं पेंशन अदालत के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार पेंशनभोगियों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित कर रही है, जिससे वे बिना किसी नौकरशाही देरी के अपने संवैधानिक अधिकारों का लाभ उठा सकें।

पेंशन अदालतों से लाखों पेंशनभोगियों को न्याय

सरकार द्वारा 2017 में शुरू की गई पेंशन अदालतों की पहल से अब तक 25,416 मामलों में से 18,157 मामलों का समाधान किया जा चुका है। 12वीं पेंशन अदालत में ही 192 मामलों को निपटाया गया, जिनमें से 151 शिकायतों का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। यह पहल पेंशनभोगियों को त्वरित न्याय देने की सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाती है।

पेंशन अदालतों ने दिलाई वर्षों से लंबित पेंशन और वित्तीय राहत

भारतीय सैन्य अकादमी (देहरादून) के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार, जो प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित थे, प्रशासनिक कारणों से 26.75 लाख रुपये की अवकाश नकदीकरण राशि से वंचित थे। पेंशन अदालत ने उनका पक्ष स्वीकार कर राशि जारी कराई, जिससे वे समय पर इलाज करा सके।
सुश्री अनीता कनिक रानी, जो 20 वर्षों से पारिवारिक पेंशन से वंचित थीं, उनके मामले का समाधान कर 22 लाख रुपये की बकाया राशि स्वीकृत की गई।
सुश्री गीता देवी, जो एक शहीद जवान की मां हैं, 19 वर्षों से गलत पेंशन प्राप्त कर रही थीं। पेंशन अदालत ने उनका अधिकार सुनिश्चित किया।
सुश्री निर्मला देवी की पेंशन 2016 से सातवें वेतन आयोग के अनुसार संशोधित नहीं हुई थी, पेंशन अदालत के हस्तक्षेप से उन्हें संशोधित पीपीओ और लंबित बकाया राशि प्राप्त हुई।

डिजिटल सुधारों से अब पेंशनभोगियों को नहीं उठानी पड़ेगी परेशानी

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र और फेस ऑथेंटिकेशन जैसी सुविधाओं ने वरिष्ठ नागरिकों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्त कर दिया है। अब वे घर बैठे अपनी पेंशन संबंधी कार्यवाहियां पूरी कर सकते हैं

पेंशनभोगियों को राष्ट्र की संपत्ति मानती है मोदी सरकार

मंत्री ने जोर देकर कहा कि बढ़ती जीवन प्रत्याशा के साथ पेंशनभोगियों को आश्रित नहीं, बल्कि राष्ट्र की संपत्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। सरकार उनकी वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथ उनकी गरिमा और समाज में योगदान को भी मान्यता दे रही है।

पारदर्शिता, दक्षता और करुणा का प्रतीक बनी पेंशन अदालतें

सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि लंबे समय से लंबित पेंशन मामलों का त्वरित समाधान हो, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को आर्थिक तनाव और मानसिक परेशानी से बचाया जा सके

"पेंशन केवल वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी और सम्मान का प्रतीक है," – डॉ. जितेंद्र सिंह।

मोदी सरकार के इस जनकल्याणकारी प्रयास से पेंशनभोगियों को न केवल वित्तीय सुरक्षा मिली है, बल्कि उनके प्रति सरकार की प्रतिबद्धता भी स्पष्ट हुई है। यह पहल भारत में न्यायपूर्ण, पारदर्शी और संवेदनशील शासन का एक उदाहरण बन रही है। ????????