उच्च न्यायालयों में नई नियुक्तियां: राष्ट्रपति ने 13 न्यायाधीशों और अपर न्यायाधीशों को दी नियुक्ति, न्यायिक प्रणाली को मिलेगी नई ऊर्जा

नई दिल्ली | फरवरी 2025
भारत की न्यायिक व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद 13 न्यायाधीशों और अपर न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी दी है। यह महत्वपूर्ण फैसला भारतीय न्यायपालिका को नए आयाम देने के साथ-साथ विभिन्न उच्च न्यायालयों की कार्यप्रणाली को और प्रभावी बनाने में मदद करेगा।
देशभर के उच्च न्यायालयों में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति
राष्ट्रपति द्वारा घोषित इन नियुक्तियों में मद्रास, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा, कर्नाटक, गुवाहाटी और कलकत्ता उच्च न्यायालयों के लिए 13 न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं और न्यायधीशों को शामिल किया गया है। ये न्यायाधीश अपने अनुभव और विधिक ज्ञान से न्यायपालिका को और अधिक प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
इन उच्च न्यायालयों में हुई नियुक्तियां
1. मद्रास उच्च न्यायालय
- न्यायमूर्ति वेंकटचारी लक्ष्मीनारायणन, अपर न्यायाधीश
- न्यायमूर्ति पेरियासामी वडामलाई, अपर न्यायाधीश
2. तेलंगाना उच्च न्यायालय
- न्यायमूर्ति लक्ष्मीनारायण अलीशेट्टी, अपर न्यायाधीश
- न्यायमूर्ति अनिल कुमार जुकांति, अपर न्यायाधीश
- न्यायमूर्ति सुजना कलासिकम, अपर न्यायाधीश
3. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
- आशीष श्रोती, अधिवक्ता
4. उत्तराखंड उच्च न्यायालय
- आलोक माहरा, अधिवक्ता
5. दिल्ली उच्च न्यायालय
- तेजस धीरेनभाई कारिया, अधिवक्ता
6. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय
- हरमीत सिंह ग्रेवाल, अधिवक्ता
- दीपिंदर सिंह नलवा, अधिवक्ता
7. कर्नाटक उच्च न्यायालय
- ताज अली मौलासब नदाफ, अधिवक्ता
8. गुवाहाटी उच्च न्यायालय
- यारेनजुंगला लोंगकुमेर, न्यायिक अधिकारी
9. कलकत्ता उच्च न्यायालय
- चैताली चटर्जी (दास), न्यायिक अधिकारी
न्यायपालिका को मिलेगी नई ऊर्जा
इन नियुक्तियों से न्यायपालिका में न केवल नई ऊर्जा का संचार होगा, बल्कि यह भारतीय न्यायिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी, निष्पक्ष और मजबूत बनाएगी। देश के अलग-अलग हिस्सों से चयनित इन न्यायाधीशों के अनुभव और न्यायिक योग्यता से लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है।
न्याय व्यवस्था को और पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम
सरकार और न्यायपालिका लगातार मिलकर भारतीय न्यायिक प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाने के प्रयास कर रहे हैं। इस फैसले से न्याय व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और न्याय की प्रक्रिया में तेजी आएगी, जिससे आम जनता को समय पर न्याय मिल सकेगा।
भारतीय लोकतंत्र और संविधान की मजबूत होती नींव
भारत का संविधान समानता और न्याय के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है, और यह नई नियुक्तियां भारतीय न्यायपालिका की निष्पक्षता, निष्कलंकता और स्वायत्तता को और अधिक मजबूत करेंगी। इन न्यायाधीशों की नियुक्ति से विधि व्यवस्था में नया विश्वास और संतुलन स्थापित होगा, जिससे नागरिकों को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए और अधिक प्रभावी न्यायिक व्यवस्था मिलेगी।
निष्कर्ष
राष्ट्रपति द्वारा की गई इन नियुक्तियों से भारत की न्यायिक व्यवस्था को नई दिशा और गति मिलेगी। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती और जनता को शीघ्र और प्रभावी न्याय दिलाने की दिशा में एक ठोस कदम है। भारतीय नागरिकों को इन नई नियुक्तियों से और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और त्वरित न्याय मिलने की उम्मीद है।