ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना: न्यायिक प्रणाली में डिजिटल परिवर्तन
ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना एक प्रमुख पहल है और इसका उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका के आधुनिकीकरण और विकास के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का लाभ उठाना है। भारत सरकार के न्याय विभाग की अगुवाई में, इस परिवर्तनकारी परियोजना को भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ सहयोग से लागू किया जा रहा है। विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि परियोजना को सम्बंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाए, जिससे प्रत्येक न्यायिक क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं और चुनौतियों का समाधान संभव हो सके। पूरे देश में न्यायिक ढांचे में अत्याधुनिक तकनीकों का समन्वय करके परियोजना, न्याय वितरण प्रणाली में पारदर्शिता, दक्षता और पहुंच को बढ़ाने का प्रयास करती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7210 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को केंद्रीय क्षेत्र योजना (2023 से आगे) के रूप में मंजूरी दे दी है। ई-कोर्ट परियोजना का दूसरा चरण 2023 में समाप्त हो गया है। भारत में ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण पहुंच और समावेशन के दर्शन पर आधारित है। इसका उद्देश्य विरासत रिकॉर्ड सहित संपूर्ण न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और ई-सेवा केंद्रों के साथ सभी न्यायालय परिसरों को संतृप्त करके ई-फाइलिंग/ई-भुगतान के सार्वभौमिकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और कागज रहित कामकाज वाले न्यायालयों की दिशा में आगे बढ़ते हुए न्याय की अधिकतम सुगमता की व्यवस्था की शुरुआत करना है। यह मामलों को निर्धारित या प्राथमिकता देते समय न्यायाधीशों और रजिस्ट्री के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बुद्धिमान स्मार्ट सिस्टम स्थापित करेगा। चरण III का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच बनाना है, जो अदालतों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक निर्बाध और कागज रहित इंटरफेस प्रदान करेगा ।
ई-कोर्ट एकीकृत मिशन मोड परियोजना की उपलब्धियां
ई-कोर्ट चरण I : 2011-15
- परिव्यय: 935 करोड़ रुपये, व्यय: 639.41 करोड़ रुपये
- 14,249 जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों को कम्प्यूटरीकृत किया गया
- 13,683 कोर्ट: एलएएन लगाया गया
- 13,436 कोर्ट: हार्डवेयर उपलब्ध कराया गया
- 13,672 न्यायालय: सॉफ्टवेयर सक्षम
· 14,309 जेओएस: लैपटॉप उपलब्ध कराया गया
- 14,000 से अधिक न्यायिक अधिकारियों को यूबंटू-लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रशिक्षण दिया गया।
- 3900 से अधिक न्यायालय कर्मचारियों को सिस्टम प्रशासक के रूप में केस सूचना प्रणाली (सीआईएस) का प्रशिक्षण दिया गया।
- 347 जेल और 493 न्यायालय परिसर: वी.सी. (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) सक्षम
ई-कोर्ट चरण II: 2015- 2023
- परिव्यय: 1670 करोड़ रुपये, व्यय: 1668.43 करोड़ रुपये
· 18,735 जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय कम्प्यूटरीकृत
- कुल न्यायालय परिसरों में से 99.5 प्रतिशत डब्ल्यूएएन से जुड़े
- 1272 जेल और 3240 न्यायालय परिसर: वी.सी. सक्षम
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड: ई-कोर्ट परियोजना के तहत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के आदेशों, निर्णयों और केस विवरणों का डेटा बेस तैयार किया गया।
ई-कोर्ट चरण III (2023-2027)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सितंबर 2023 में 7,210 करोड़ रुपये के आवंटित परिव्यय के साथ ई-कोर्ट चरण III (2023-2027) को मंजूरी दी, जो कि चरण II के लिए आवंटित धनराशि से चार गुना अधिक है।
परियोजना में दिए गए विभिन्न उन्नत डिजिटल उपाय इस प्रकार हैं:
- अदालती कार्यवाही को डिजिटल बनाने के लिए डिजिटल और कागज रहित कामकाज प्रणाली वाले न्यायालयों की स्थापना।
- विरासत रिकॉर्ड और लंबित मामलों सहित न्यायालय रिकॉर्ड का व्यापक डिजिटलीकरण।
- अदालतों, जेलों और अस्पतालों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का विस्तार।
- यातायात उल्लंघनों के निर्णय से बढ़कर ऑनलाइन अदालतों के दायरे को व्यापक बनाना।
- नागरिकों की सुविधा के लिए न्यायालय परिसरों में ई-सेवा केन्द्रों की स्थापना।
- डिजिटाइज्ड न्यायालय अभिलेखों के सुरक्षित भंडारण और कुशल पुनर्प्राप्ति के लिए अत्याधुनिक क्लाउड-आधारित डेटा भंडार का निर्माण।
- लाइव स्ट्रीमिंग और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रबंधन के लिए सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों का कार्यान्वयन।
- लंबित मामलों के विश्लेषण और भविष्य के मुकदमेबाजी रुझानों के पूर्वानुमान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर) जैसे इसके उपसमूहों का एकीकरण।
इन उपायों का उद्देश्य सुविधाजनक और सहज न्यायालय अनुभव के माध्यम से नागरिकों के लिए न्याय की सुगमता सुनिश्चित करके न्यायपालिका की दक्षता और पहुंच को बढ़ाना है। प्रौद्योगिकी को शासन के साथ एकीकृत करके, ई-कोर्ट चरण III परिवर्तनकारी पहल के लिए दृढ़ संकल्पित है, जो भारत में न्याय वितरण के डिजिटलीकरण के लिए एक मानदंड स्थापित करेगा।
ई-कोर्ट्स परियोजना के तहत की गई पहल
- वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) परियोजना के अंतर्गत, देश भर के 99.5 प्रतिशत न्यायालय परिसरों को 10 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस तक की बैंडविड्थ गति से जोड़ा गया है।
- डब्ल्यूएएन परियोजना, जो ई-कोर्ट पहल का हिस्सा है, देश भर के सभी जिला और अधीनस्थ न्यायालय परिसरों को विभिन्न प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जोड़ती है, जिसमें मल्टीप्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस), ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ), वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल (वीएसएटी) और सबमरीन केबल शामिल हैं, जो देश भर के न्यायालयों में निर्बाध डेटा कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है।
- वर्तमान में, बीएसएनएल द्वारा सॉफ्टवेयर-परिभाषित वाइड एरिया नेटवर्क (एसडी-डब्ल्यूएएन) प्रौद्योगिकी का उपयोग करके 209 नए न्यायालय परिसरों को जोड़ा जा रहा है।
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) एक ऑनलाइन डेटाबेस है जिसमें देश के सभी कम्प्यूटरीकृत जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के आदेश, निर्णय और मामले शामिल हैं, जो वादियों को केस सम्बंधी जानकारी और 27.64 करोड़ से अधिक आदेशों और निर्णयों तक पहुंच प्रदान करता है।
- फ्री और ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (एफओएसएस) पर आधारित एक कस्टमाइज्ड केस इंफॉर्मेशन सॉफ्टवेयर (सीआईएस) विकसित किया गया है। वर्तमान में, सीआईएस नेशनल कोर वर्जन 3.2 को जिला न्यायालयों में लागू किया जा रहा है, जबकि वर्जन 1.0 को उच्च न्यायालयों में लागू किया जा रहा है।
- ई-कोर्ट पहल के तहत, केस की स्थिति, वाद सूची, निर्णय और अन्य पर वास्तविक समय अपडेट प्रदान करने के लिए सात प्लेटफ़ॉर्म स्थापित किए गए हैं। ये अपडेट वकीलों और वादियों को एसएमएस पुश और पुल (प्रतिदिन 4 लाख से अधिक एसएमएस भेजे जाते हैं), ईमेल (प्रतिदिन 6 लाख से अधिक भेजे जाते हैं), बहुभाषी ई-कोर्ट सेवा पोर्टल (प्रतिदिन 35 लाख हिट के साथ), न्यायिक सेवा केंद्र (जेएससी) और सूचना कियोस्क के माध्यम से भेजे जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट टूल्स (ईसीएमटी) विकसित किए गए हैं, जिनमें वकीलों के लिए एक मोबाइल ऐप (जिसे 31 अक्टूबर, 2024 तक 2.69 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है) और न्यायाधीशों के लिए जस्टआईएस ऐप (31 अक्टूबर, 2024 तक तक 20,719 बार डाउनलोड किया जा चुका है) शामिल हैं।
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालती सुनवाई करने में भारत अग्रणी बनकर उभरा है। 31 अक्टूबर, 2024 तक, जिला और अधीनस्थ अदालतों ने 2,48,21,789 मामलों की सुनवाई की, जबकि उच्च न्यायालयों ने 90,21,629 मामलों (कुल 3.38 करोड़) की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली का उपयोग करके की। सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च, 2020 से 04 जून, 2024 तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए 7.54 लाख से ज़्यादा सुनवाई की है।
- देश भर में 3240 न्यायालय परिसरों और 1272 जेलों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं शुरू की गई हैं।
- गुजरात, गुवाहाटी, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, कोलकाता और उच्चतम न्यायालय सहित कई उच्च न्यायालयों में अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की गई है, जिससे मीडिया और अन्य इच्छुक पक्षों को कार्यवाही में भाग लेने की सुविधा मिलती है।
- ट्रैफिक चालान के मामलों को निपटाने के लिए 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में वर्चुअल कोर्ट शुरू किए गए हैं। इन अदालतों ने 6 करोड़ से ज़्यादा मामलों को निपटाया है और 62 लाख से ज़्यादा मामलों में 31 अक्टूबर, 2024 तक 649.81 करोड़ रुपये से ज़्यादा का ऑनलाइन जुर्माना वसूला गया है।
- ई-फाइलिंग प्रणाली (संस्करण 3.0) को उन्नत किया गया है, जिससे वकीलों को किसी भी स्थान से 24x7, मामलों के दस्तावेजों तक पहुंचने और उन्हें अपलोड करने की सुविधा मिल सके।
- ई-भुगतान प्रणाली को ई-फाइलिंग के रूप में शुरू किया गया है, जिससे न्यायालय शुल्क, जुर्माना और दंड का इलेक्ट्रॉनिक भुगतान संभव हो गया है, जो सीधे समेकित निधि में जमा कर दिया जाता है।
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा देते हुए जिला न्यायालयों में 1394 ई-सेवा केंद्र (सुविधा केंद्र) और उच्च न्यायालयों में 36 ई-सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसका उद्देश्य विशेष तौर पर, दूरदराज के इलाकों में रहने वाले या तकनीक का खर्च उठाने में असमर्थ वकीलों और वादियों को सेवाएं प्रदान करना है । ये केंद्र नागरिकों को ई-कोर्ट सेवाओं, ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई और बहुत कुछ तक पहुंचने में मदद करते हैं।
- प्रौद्योगिकी आधारित प्रक्रिया तामील और सम्मन जारी करने को सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया सेवा और ट्रैकिंग (एनएसटीईपी) प्रणाली शुरू की गई है, जिसका कार्यान्वयन 28 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में किया जा रहा है।
- एक नया जजमेंट सर्च पोर्टल शुरू किया गया है, जो बेंच, केस टाइप, केस नंबर, वर्ष, याचिकाकर्ता/प्रतिवादी का नाम, जज का नाम, अधिनियम, धारा, निर्णय: तिथि से लेकर तिथि तक और पूर्ण पाठ खोज सहित विभिन्न मानदंडों के आधार पर निर्णयों को खोजने की निःशुल्क पहुंच प्रदान करता है। यह सुविधा सभी को निःशुल्क प्रदान की जा रही है।
- मई 2020 से अक्टूबर 2024 के बीच कुल 605 प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों, न्यायालय के कर्मचारियों, मास्टर प्रशिक्षकों, उच्च न्यायालयों के तकनीकी कर्मचारियों और अधिवक्ताओं सहित लगभग 6.64 लाख हितधारकों को शामिल किया गया है।
निष्कर्ष
ई-कोर्ट्स एकीकृत मिशन मोड परियोजना एक परिवर्तनकारी पहल रही है जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारतीय न्यायिक प्रणाली में क्रांति लाना है। न्यायालयों के कम्प्यूटरीकरण से लेकर उन्नत डिजिटल समाधानों के कार्यान्वयन तक, इस परियोजना ने न्याय प्रदान करने की दक्षता, पहुंच और पारदर्शिता को काफी हद तक बढ़ाया है। चरण I और II के सफल कार्यान्वयन और चरण III के लिए निर्धारित महत्वाकांक्षी उद्देश्यों के साथ, यह परियोजना सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उभरती प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, डेटा-संचालित निर्णय लेना सक्षम करके और ई-सेवा केंद्रों और वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से समावेशिता को बढ़ावा देकर, ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट न केवल डिजिटलीकरण की कमी को समाप्त कर रहा है, बल्कि न्यायिक आधुनिकीकरण के लिए एक मानदंड भी स्थापित कर रहा है। यह पहल, न्यायपालिका के भविष्य दृष्टिकोण को रेखांकित करती है जिससे नागरिकों को निर्बाध, पारदर्शी और सशक्त न्याय प्राप्त करने की सहुलियत होगी।
संदर्भ:
- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2083738
- https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1956919
- https://x.com/MLJ_GoI/status/1634089769503432704?s=20
- https://ecourts.gov.in/ecourts_home/static/about-us.php