बरेली में नगर निगम की घोर लापरवाही से मजदूर की मौत – कीचड़ से लदी ट्रॉली सोते व्यक्ति पर पलटी, मौके पर तोड़ा दम

बरेली में नगर निगम की घोर लापरवाही से मजदूर की मौत – कीचड़ से लदी ट्रॉली सोते व्यक्ति पर पलटी, मौके पर तोड़ा दम

“एक गलती, एक ज़िंदगी… और एक परिवार की दुनिया उजड़ गई”

बरेली | विशेष रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में नगर निगम की लापरवाही ने एक निर्दोष मजदूर की जान ले ली। नाले की सफाई के दौरान कीचड़ से भरी ट्रॉली अचानक सोते हुए 45 वर्षीय सुनील कुमार पर पलट गई, जिससे उसकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे ने न केवल उसके परिवार को बेसहारा कर दिया, बल्कि नगर निगम की लापरवाही की पोल भी खोल दी है।


कैसे हुआ हादसा?

मामला शहर के भीड़भाड़ वाले इलाके का है, जहां नगर निगम की ओर से नाले की सफाई का काम चल रहा था। सफाई कर्मचारियों द्वारा नाले से निकाली गई कीचड़ को ट्रॉली में भरकर हटाया जा रहा था।

इसी दौरान ट्रॉली को पीछे करते वक्त बिना देखे और सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए उसे खाली किया गया। वहीं ट्रॉली के नीचे, थोड़ी सी छांव में थका-हारा सुनील कुमार सो रहा था, जिसे किसी ने चेतावनी देना भी ज़रूरी नहीं समझा। पल भर में ट्रॉली की कीचड़ भरी तबाही ने उसे ज़िंदा दफन कर दिया।


परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

सुनील कुमार एक मेहनतकश मजदूर था, जो रोज़ाना मज़दूरी करके अपने बच्चों का पेट पालता था। उसकी अचानक हुई मौत से परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी बेसुध है, बच्चे सहमे हुए हैं और आस-पड़ोस के लोग नगर निगम के खिलाफ आक्रोशित हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है:

“नगर निगम के कर्मचारी मशीनों से काम तो कर रहे हैं, लेकिन मानवीयता और सुरक्षा नाम की कोई चीज़ नहीं है। अगर कर्मचारियों ने जरा भी सतर्कता दिखाई होती, तो सुनील आज जिंदा होता।”


लापरवाही या प्रशासनिक अपराध?

यह कोई सामान्य हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और असंवेदनशीलता का जिंदा उदाहरण है।

प्रमुख सवाल:

  • सफाई कार्य के दौरान सेफ्टी गार्ड, नियंत्रण अधिकारी या संकेतक क्यों नहीं थे?

  • कर्मचारी ट्रॉली पलटते वक्त सुरक्षित क्षेत्र की निगरानी क्यों नहीं कर रहे थे?

  • क्या नगर निगम में मानवीय जीवन की कोई कीमत नहीं बची?


क्या होगी कार्रवाई?

फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और नगर निगम के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन समाज को अब सिर्फ जांच नहीं, न्याय चाहिए।

परिवार मांग कर रहा है:

  • मृतक के परिजनों को मुआवजा दिया जाए

  • जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए

  • भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए सख्त सुरक्षा नियम लागू किए जाएं


यह मौत नहीं, सिस्टम की मार है

सुनील कुमार की मौत एक संकेत है — जब तक प्रशासनिक कार्यों में मानवीय मूल्य नहीं जुड़ते, ऐसी मौतें होती रहेंगी। अब समय है जब नगर निगम और प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाए।