लखपति दीदी और कुलस्वामिनी उत्पादकों के समूह को सशक्त बनाने की पहल, सीईओ डॉ. भरत बस्तेवाड ने दिया मार्गदर्शन

लखपति दीदी और कुलस्वामिनी उत्पादकों के समूह को सशक्त बनाने की पहल, सीईओ डॉ. भरत बस्तेवाड ने दिया मार्गदर्शन

रायगड जिले की सुधागढ़ तहसील में 15 जनवरी 2025 को एक विशेष कार्य समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. भरत बस्तेवाड ने लखपति दीदी और आजीविका पंजीकरण कार्यक्रम की प्रगति का गहन मूल्यांकन किया। बैठक का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और कृषि क्षेत्र में नई पहलों के माध्यम से आय बढ़ाने की दिशा में मार्गदर्शन करना था।

लखपति दीदी की संख्या बढ़ाने पर जोर:
डॉ. बस्तेवाड ने लखपति दीदी योजना की समीक्षा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक महिलाएं इस कार्यक्रम से जुड़कर आत्मनिर्भर बन सकें। उन्होंने इस दिशा में नई रणनीतियां बनाने और महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

कुलस्वामिनी उत्पादकों के समूह का दौरा:
ग्राम पंचायत सिद्धेश्वर में कुलस्वामिनी उत्पादकों के समूह का दौरा करते हुए डॉ. बस्तेवाड ने सब्जी और हल्दी की खेती के प्लॉट्स का निरीक्षण किया। उन्होंने उत्पादन समूहों को मार्गदर्शन दिया कि नई कृषि तकनीकों और पहल के माध्यम से आय कैसे बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ ही, उन्होंने समूहों को उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग में सुधार करने और इसे बाजार में बेहतर दामों पर बेचने के लिए प्रेरित किया।

खर्च कम करने और आय बढ़ाने की दिशा में सुझाव:
डॉ. बस्तेवाड ने ग्रामीणों को अन्य विभागों की मदद से खेती और उत्पादन में लागत कम करने के उपाय बताए। उन्होंने समूहों को सलाह दी कि वे प्रदर्शनियों और अभियानों के माध्यम से अपने उत्पादों को अधिक व्यापक स्तर पर पहचान दिलाएं।

उमेद अभियान के तहत नई पहचान की अपील:
उमेद अभियान के तहत ग्रामीण महिलाओं और उत्पादकों को प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया। डॉ. बस्तेवाड ने कहा कि यह अभियान न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि उन्हें अपनी नई पहचान बनाने में भी मदद करेगा। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए इस अभियान को एक अवसर के रूप में अपनाएं।

कार्यक्रम में प्रमुख अधिकारी रहे उपस्थित:
इस विशेष अवसर पर परियोजना निदेशक प्रियदर्शनी मोरे और गत विकास अधिकारी लता मोहिते सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने भी ग्रामीणों और महिला समूहों को अपने विचार साझा करने और समस्याओं पर चर्चा करने का मौका दिया। डॉ. बस्तेवाड की इस पहल ने ग्रामीण महिलाओं और किसानों को आत्मनिर्भरता की ओर एक नई दिशा दी है। लखपति दीदी और कुलस्वामिनी उत्पादकों के समूह जैसे कार्यक्रम ग्रामीण समाज के आर्थिक और सामाजिक स्तर को ऊंचा उठाने का महत्वपूर्ण माध्यम साबित हो रहे हैं। यह दौरा रायगड के ग्रामीण विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम था। डॉ. बस्तेवाड के मार्गदर्शन और नई पहल से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि ग्रामीण समाज में एक नई आशा और ऊर्जा का संचार भी होगा।