धुरिया जनजाति के हक़ की अनसुनी! प्रमाण पत्र जारी करने में प्रशासन की टालमटोल पर फूटा आक्रोश

आजमगढ़ | जनजातीय अधिकारों की अनदेखी और प्रशासनिक टालमटोल के खिलाफ आदिवासी समाज ने सगड़ी तहसील में ज़ोरदार आवाज़ बुलंद की। शनिवार को आदिवासी सेवा संस्थान आजमगढ़ के अध्यक्ष रामचंद्र गोंड के नेतृत्व में गोंड समाज के दर्जनों लोग उपजिला अधिकारी सगड़ी से मिले और धुरिया जनजाति के प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर ज्ञापन सौंपा।
जनजातीय आयोग के निर्देश की हो रही अनदेखी
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली ने 20 नवंबर 2024 को जिलाधिकारी को पत्र भेजकर धुरिया जनजाति के प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद जिलाधिकारी ने 31 दिसंबर 2024 को समस्त तहसीलदारों को आदेशित किया कि प्रमाण पत्र जांच कर जारी किए जाएं। बावजूद इसके, प्रशासनिक अमला इस आदेश को नजरअंदाज कर रहा है, जिससे धुरिया जनजाति के लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहा।
तहसीलदार का बयान— कोई रोक नहीं, फिर भी आदेश का पालन नहीं!
तहसीलदार ने स्वयं कहा कि प्रमाण पत्र जारी करने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन लेखपालों को निर्देश नहीं दिए गए, जिसके कारण प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहे। इससे धुरिया जनजाति के लोगों को शासन द्वारा मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।
इतिहास भी करता है समर्थन, फिर भी अन्याय जारी!
आदिवासी विकास सेवा संस्थान आजमगढ़ के अध्यक्ष रामचंद्रपुर गोंड ने बताया कि जनपद में गोंड और खरवार जातियों के प्रमाण पत्र पहले से ही जारी किए जा रहे हैं। धुरिया जाति अनुसूचित जनजाति में शामिल है, लेकिन फिर भी प्रशासनिक स्तर पर मनमानी और हीलाहवाली जारी है। 1891 की जनगणना और भारत सरकार के राजपत्र में भी इस जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है, फिर भी प्रशासन इस समुदाय को उसका वैधानिक अधिकार देने में आनाकानी कर रहा है।
संघर्ष जारी रहेगा, आयोग तक पहुंचेगी आवाज़!
गोंड समाज के नेताओं ने प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी कि यदि प्रमाण पत्र जारी करने में ढिलाई बंद नहीं हुई, तो वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में शिकायत दर्ज कराएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन ने जल्द उचित कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
जनजातीय हकों के लिए संघर्ष जारी रहेगा, क्योंकि यह सिर्फ प्रमाण पत्र का मामला नहीं, बल्कि एक पूरे समाज की पहचान और अधिकारों का सवाल है!