अमृत सरोवर योजना: जल संरक्षण में ऐतिहासिक कदम, 68,000 से अधिक तालाब बने, जल संकट से निपटने की नई उम्मीद
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भारत में जल संरक्षण को एक नई दिशा देते हुए मिशन अमृत सरोवर जल स्रोतों के पुनरुद्धार का राष्ट्रीय अभियान बन चुका है। अप्रैल 2022 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर (तालाब) विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन सरकार की प्रतिबद्धता और जनभागीदारी के चलते जनवरी 2025 तक 68,000 से अधिक तालाबों का निर्माण या पुनरुद्धार पूरा हो चुका है, जो कि प्रारंभिक लक्ष्य से कहीं अधिक है।
जल संकट से समाधान तक:
इस योजना ने न केवल सतही और भूजल स्तर में सुधार किया है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, पशुपालन और आजीविका के लिए संजीवनी बन रही है। तालाबों से सिंचाई, जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन को भी बढ़ावा मिल रहा है।
जनभागीदारी से जल क्रांति:
अब मिशन अमृत सरोवर के दूसरे चरण में सरकार ने जलवायु लचीलापन, पारिस्थितिकी सुधार और स्थायी जल संसाधनों के विकास पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है। इस चरण में महात्मा गांधी नरेगा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, 15वें वित्त आयोग अनुदान समेत राज्यों की योजनाओं के तहत जल स्रोतों का संरक्षण और विस्तार किया जाएगा। साथ ही कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और क्राउडफंडिंग के जरिए भी इस योजना को और व्यापक बनाया जाएगा।
जल संरक्षण में ऐतिहासिक उपलब्धि!
मिशन अमृत सरोवर सरकार के पर्यावरणीय प्रतिबद्धता और सामुदायिक भागीदारी का प्रतीक बन चुका है। इससे आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचाने और "हर घर जल, हर खेत जल" के संकल्प को पूरा करने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रहा है।