नागपंचमी पर खड़ेसरी बना 'कुश्ती का कुरुक्षेत्र', राष्ट्रीय पहलवानों के दमदार दांव ने लूटी महफ़िल

नागपंचमी पर खड़ेसरी बना 'कुश्ती का कुरुक्षेत्र', राष्ट्रीय पहलवानों के दमदार दांव ने लूटी महफ़िल
  • मारकंडे यादव के संयोजन में हुआ ऐतिहासिक आयोजन, प्रदेश अध्यक्ष शिखर गुप्ता ने किया उद्घाटन

संवाददाता- शुभम शर्मा, बड़हलगंज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

ड़हलगंज, गोरखपुर।
नागपंचमी के पावन पर्व पर जब आस्था और परंपरा की गरिमा अपने चरम पर थी, उसी शुभ अवसर पर बड़हलगंज क्षेत्र के खड़ेसरी ग्रामसभा ने इतिहास रचते हुए एक भव्य कुश्ती महोत्सव का आयोजन किया। यह आयोजन न केवल पहलवानों की शक्ति और कौशल का संगम बना, बल्कि ग्रामीण संस्कृति और भारतीय खेल परंपरा का जीवंत उदाहरण भी पेश किया।

इस भव्य आयोजन का शुभारंभ विश्व हिंदू रक्षा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष श्री शिखर गुप्ता द्वारा अखाड़े का फीता काटकर किया गया। उद्घाटन के साथ ही जब "जय बजरंगबली" के जयघोष गूंजे, तो पूरा माहौल भक्ति और जोश से भर गया।

 राष्ट्रीय स्तर के पहलवानों का जमावड़ा, रोमांच चरम पर
खड़ेसरी का यह पारंपरिक अखाड़ा इस बार केवल स्थानीय नहीं, बल्कि गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, देवरिया सहित कई जिलों और अन्य राज्यों से आए नामचीन पहलवानों का केंद्र बन गया। कुछ मुकाबले इतने जबरदस्त थे कि दर्शक रोमांच से झूम उठे — हर दांव, हर पटखनी पर तालियों की गड़गड़ाहट और नारों की गूंज गूंजने लगी।

सुबह से उमड़ी भीड़, युवाओं और बच्चों में खास उत्साह
सुबह होते-होते अखाड़े के चारों ओर जनसैलाब उमड़ पड़ा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर वर्ग इस रोमांचक मुकाबले का साक्षी बनने को आतुर था। युवा वर्ग में पारंपरिक खेलों के प्रति उत्साह देखते ही बनता था, जो इस आयोजन की सबसे बड़ी सफलता रही।

 आयोजक मारकंडे यादव ने दिया युवाओं को प्रेरणा का संदेश
इस आयोजन के सूत्रधार और प्रसिद्ध पहलवान मारकंडे यादव ने बताया कि इस प्रकार के आयोजनों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि युवाओं को भारतीय पारंपरिक खेलों से जोड़ना और उन्हें स्वस्थ जीवन की ओर प्रेरित करना है। उन्होंने उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों और ग्रामीणजनों का हृदय से आभार व्यक्त किया।

 खेल के साथ संस्कृति का संगम, सौहार्द का संदेश
यह आयोजन केवल कुश्ती तक सीमित नहीं था, यह एक सांस्कृतिक उत्सव था — जहां खेल, परंपरा, और सामाजिक एकता का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। नागपंचमी के इस विशेष दिन ने खड़ेसरी को कुश्ती प्रेमियों के लिए एक यादगार स्थल बना दिया।


 यह आयोजन न केवल एक प्रतियोगिता थी, बल्कि एक विचार था — भारतीयता, परंपरा और ऊर्जा का संगम। खड़ेसरी की धरती ने इस नागपंचमी को बना दिया एक ऐतिहासिक पर्व।

अगले साल की कुश्ती का इंतजार अभी से शुरू...