खो-खो वर्ल्ड कप में भारत को दिलाई गोल्डन जीत, गोरखपुर के बेटे कोच विनय जायसवाल का हुआ ऐतिहासिक स्वागत!

ब्यूरो प्रमुख- एन. अंसारी, मंडल गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर – भारतीय खेल जगत के लिए यह गर्व का क्षण है! खो-खो वर्ल्ड कप 2024 में भारतीय पुरुष टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले कोच विनय कुमार जायसवाल का गोरखपुर में भव्य स्वागत किया गया। उनकी अगुवाई में भारतीय टीम ने न केवल स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया, बल्कि पूरे विश्व में खो-खो के स्वर्णिम युग की शुरुआत कर दी।
भारत ने रचा इतिहास, खो-खो को मिली वैश्विक पहचान!
दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित खो-खो वर्ल्ड कप 2024 में दुनिया के 23 देशों (पुरुष वर्ग में 20 और महिला वर्ग में 19 टीमों) ने हिस्सा लिया। भारत की दोनों टीमें—पुरुष और महिला—ने शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता, जिससे भारतीय खेल संस्कृति की चमक वैश्विक स्तर पर फैल गई।गोरखपुर के मनबेला पिरशाहीद गांव के निवासी, ऑटो चालक रामज्ञान जी के पुत्र विनय कुमार जायसवाल, इस ऐतिहासिक जीत के सूत्रधार रहे। उन्होंने अपने कोचिंग कौशल से भारतीय टीम को दुनिया के शिखर पर पहुंचाया।
प्रधानमंत्री ने भी सराहा, खो-खो को मिली नई पहचान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत की इस गौरवशाली जीत की सराहना की और पूरी टीम को बधाई दी। इस मौके पर कोच विनय जायसवाल ने भारतीय खो-खो संघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल और महामंत्री एम.एस. त्यागी का विशेष धन्यवाद अदा किया, जिनके अथक प्रयासों से आज खो-खो 55 देशों में खेला जाने वाला वैश्विक खेल बन चुका है।
गोरखपुर में ऐतिहासिक स्वागत, रोड शो से गूंजा शहर
खो-खो वर्ल्ड कप में भारत की शानदार जीत के बाद, कोच विनय कुमार जायसवाल के गोरखपुर प्रथम आगमन पर ऐतिहासिक रोड शो निकाला गया। मेडिकल कॉलेज से लेकर उनके गांव मनबेला तक का सफर जश्न और उत्साह से सराबोर रहा। हजारों की संख्या में समर्थकों और खेल प्रेमियों ने उनका फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया।इस अवसर पर लक्ष्मी जायसवाल, मनोज जायसवाल, विनोद जायसवाल, गजानंद, राधेश्याम, वीरेंद्र जायसवाल, गणेश, सर्वेश जायसवाल, इस्माईल, रवि कुमार मिश्रा, अरविंद पासवान, आशीष, उपेंद्र, रमाशंकर सहित बरोली खो-खो क्लब के खिलाड़ी, ग्रामवासी और पूरा परिवार उपस्थित रहा।
खो-खो के स्वर्ण युग की शुरुआत!
कोच विनय जायसवाल की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि खो-खो अब केवल एक पारंपरिक खेल नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का गौरव बन चुका है।
आज, जब भारत इस खेल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहा है, तो यह जीत केवल स्वर्ण पदक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की खेल संस्कृति और प्रतिभा का विश्व मंच पर सम्मान भी है। गोरखपुर का यह बेटा अब खेल इतिहास में हमेशा अमर रहेगा!