महाकुंभ की भगदड़ में उजड़ गए परिवार, बेटे ने रोकर कहा— ‘हाथ ऐसा छूटा कि अब मां जिंदगी भर के लिए छूट गई...’

महाकुंभ की भगदड़ में उजड़ गए परिवार, बेटे ने रोकर कहा— ‘हाथ ऐसा छूटा कि अब मां जिंदगी भर के लिए छूट गई...’

प्रयागराज। आस्था का सैलाब, लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ और अचानक मच गई भगदड़… एक पल में कई परिवारों की खुशियां उजड़ गईं। मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान हुए इस दर्दनाक हादसे ने गोरखपुर के चार परिवारों को गहरे मातम में डुबो दिया। गंगा के पावन तट पर मुक्ति की आस लेकर पहुंचे श्रद्धालु खुद काल के गाल में समा गए।

'मां का हाथ थामा था, फिर वो हमेशा के लिए छूट गईं'

गोरखपुर के सिकंदर निषाद की आंखों से आंसू थम नहीं रहे। उनकी मां नगीना देवी श्रद्धालुओं के साथ पुण्य स्नान के लिए प्रयागराज गई थीं, लेकिन लौटकर कभी नहीं आईं। सिकंदर ने बिलखते हुए कहा, "मां की हंसी कानों में गूंज रही है, लेकिन अब वो सिर्फ यादों में रह गई हैं।"

पति का अंतिम स्पर्श भी नसीब न हुआ...

पन्ने निषाद अपनी पत्नी कुसुम के साथ कुम्भ स्नान करने गए थे। अचानक बढ़ती भीड़ और भगदड़ में कुसुम का हाथ पन्ने के हाथ से छूट गया, और फिर दोबारा वह उन्हें जिंदा नहीं देख सकीं। जब भगदड़ थमी, तो पन्ने निषाद का शव जमीन पर पड़ा था।

गांव में पसरा मातम, प्रशासन मौन!

गोरखपुर के उनवल, कैंपियरगंज और झंगहा के कुल चार श्रद्धालु इस भगदड़ में काल के गाल में समा गए। गांव में मातम पसरा हुआ है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने इस दर्दनाक हादसे पर चुप्पी साध ली है।

आस्था और अव्यवस्था की भेंट चढ़े श्रद्धालु

महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु पुण्य कमाने के लिए आते हैं, लेकिन हर बार अव्यवस्था के कारण कुछ परिवार अपने अपनों को हमेशा के लिए खो बैठते हैं। इस हादसे ने फिर वही सवाल खड़ा कर दिया है— क्या भीड़ को संभालने के इंतजाम नाकाफी थे? क्या यह हादसा टाला जा सकता था?

अंतिम विदाई, नम आंखों से विदा हुए श्रद्धालु

गांव के कटरा बाबा स्थान, आमी नदी के तट पर पन्ने निषाद और नगीना देवी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके परिवारों की चीखें अब भी गांव के सन्नाटे को चीर रही हैं।