स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. लक्ष्मीकांत मिश्र की 25वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि

संवाददाता- बजरंगी विश्वकर्मा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
महराजगंज,
स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय योद्धा और समाज सुधारक पं. लक्ष्मीकांत मिश्र की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गुरुवार को क्षेत्र के प्रतिष्ठित एस.पी. बाल विद्या मंदिर, नेवादा (पंडित की छावनी) में एक विशेष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर भारी संख्या में लोगों ने पंडित जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके द्वारा किए गए अतुलनीय संघर्षों को याद किया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्रबंधक नरेंद्र मिश्र के भावुक संबोधन से हुई। उन्होंने पंडित लक्ष्मीकांत मिश्र के अद्वितीय योगदान और देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गुलामी के काले दौर में जब देश के स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे, तब पं. लक्ष्मीकांत मिश्र भी महात्मा गांधी और पं. जवाहरलाल नेहरू के विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। पंडित जी ने महराजगंज थाने पर कब्जा कर कई बंदियों को रिहा कराया, जिसके लिए उन्हें अंग्रेजों की क्रूरता का सामना करना पड़ा और सजा भुगतनी पड़ी। न केवल स्वतंत्रता संग्राम में, बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी, पं. लक्ष्मीकांत मिश्र ने समाज सुधार और क्षेत्र के विकास के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी। उनके अथक प्रयासों से महराजगंज से सहदेवगंज मार्ग का निर्माण हुआ, महेशपुर गांव में पशु चिकित्सालय और आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना की गई, साथ ही कई साधन सहकारी समितियों का गठन हुआ। उन्होंने शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, जिससे क्षेत्र का विकास हुआ और लोगों में जागरूकता बढ़ी।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने पंडित जी की निस्वार्थ सेवा, साहस और समर्पण को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने यह सिखाया कि सच्चाई के रास्ते पर चलने वालों को कभी भी झुकना नहीं चाहिए, चाहे सामने कितना ही बड़ा जुल्म और अत्याचार क्यों न हो। पंडित जी का साहस, धैर्य और निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को सच्चाई के रास्ते पर डटे रहने का मार्ग दिखाती रहेंगी। इस अवसर पर विद्यालय के छात्रों ने भी पं. लक्ष्मीकांत मिश्र के जीवन पर आधारित गीत और कविता प्रस्तुत कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस भावुक और प्रेरणादायक माहौल में लोगों ने उनकी स्मृतियों को संजोते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।
पंडित लक्ष्मीकांत मिश्र की 25वीं पुण्यतिथि न केवल उनके योगदान को याद करने का अवसर था, बल्कि उनके द्वारा समाज के लिए किए गए अतुलनीय कार्यों का सम्मान भी था। उनकी इस विरासत को संजोकर रखने और उसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी आज की पीढ़ी पर है, जो उनके द्वारा स्थापित मार्गदर्शक सिद्धांतों पर चलकर देश और समाज को और भी बेहतर बना सकती है।