आज़मगढ़ महोत्सव-2024: जल संरक्षण पर जागरूकता कार्यशाला में उभरी भविष्य की नई उम्मीदें

आज़मगढ़ महोत्सव-2024: जल संरक्षण पर जागरूकता कार्यशाला में उभरी भविष्य की नई उम्मीदें

संवाददाता- मनोज कुमार सिंह, आजमगढ़उत्तर प्रदेश

आज़मगढ़ महोत्सव-2024 के अंतर्गत हरिऔध कला केंद्र में जल संरक्षण की समस्या और उसके समाधान पर आयोजित एक प्रेरणादायक कार्यशाला में जल प्रबंधन के विषय पर गहरी जानकारी दी गई। राजकीय पॉलिटेक्निक आज़मगढ़ के शिक्षक और जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक, राज्य भूजल पुरस्कार प्राप्त इंजीनियर कुलभूषण सिंह ने अपने ऑडियो-वीजुअल प्रजेंटेशन के माध्यम से उपस्थित छात्रों और शिक्षकों को जल संकट के गंभीर पहलुओं से अवगत कराया।

कार्यशाला में बताया गया कि भारत में केवल 4 प्रतिशत शुद्ध जल उपलब्ध है, जबकि यहाँ विश्व की 18 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। वर्षा जल का मात्र 8 प्रतिशत ही भूगर्भ जल के रूप में पुनः इस्तेमाल हो पाता है, जबकि अधिकांश जल पक्की छतों और सड़कों के माध्यम से नदियों से समुद्र में चला जाता है। इस गंभीर स्थिति को उजागर करते हुए श्री सिंह ने चेतावनी दी कि 2030 तक पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी, जबकि आपूर्ति घटकर आधी रह जाएगी, अगर जल संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए।

श्री सिंह ने छात्रों को दैनिक जीवन में पानी की बचत के आसान और प्रभावी उपाय सुझाए। उन्होंने बताया कि ड्रिप इरीगेशन का इस्तेमाल करके सिंचाई में 60 से 70 प्रतिशत पानी बचाया जा सकता है। इसी प्रकार, चावल की खेती के स्थान पर दलहन और तिलहन की खेती को प्रोत्साहित कर पानी की भारी बचत की जा सकती है, क्योंकि एक किलोग्राम चावल उगाने में 2000 से 3000 लीटर पानी का उपयोग होता है।

उन्होंने छात्रों को रूफटॉप वाटर हार्वेस्टिंग के महत्व से भी अवगत कराया, जिससे 100 वर्ग फुट की छत पर लगभग 1 लाख लीटर वर्षा जल को भूगर्भ में रिचार्ज किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, पॉलीथीन और प्लास्टिक बोतल को नदियों और तालाबों में फेंकने के बजाय, उन्हें ईको ब्रिक बनाने में इस्तेमाल करने की अपील की। छात्रों ने इस अभिनव प्रयोग के तहत 1 लाख पॉलीथीन से ईको ब्रिक बनाने का संकल्प लिया, जिसे इंजीनियर कुलभूषण सिंह के मार्गदर्शन में राजकीय पॉलिटेक्निक के छात्रों द्वारा दीवार और अन्य संरचनाएं बनाने में उपयोग किया जाएगा।

कार्यशाला के दौरान छात्रों ने पानी बचाने के अनेक व्यावहारिक उपायों पर गहन जानकारी प्राप्त की। श्री सिंह ने बताया कि टंकी के ओवरफ्लो से 1 मिनट में 100 लीटर पानी बर्बाद होता है, जिसे वॉटर अलार्म लगाकर रोका जा सकता है। इसी तरह, 10 मिनट कार धोने में 1000 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि बाल्टी का इस्तेमाल करके 900 लीटर पानी बचाया जा सकता है। इसके अलावा, नल से पानी बहने से प्रति मिनट 6 लीटर पानी की बर्बादी होती है, जिसे रोका जा सकता है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर उपस्थित अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन रेफरी श्री अजेंद्र राय, भूगर्भ जल विभाग के हाइड्रोलॉजिस्ट श्री आनंद प्रकाश, और अन्य वरिष्ठ विशेषज्ञों ने भी जल संरक्षण के महत्त्व पर प्रकाश डाला।

अंत में, छात्रों को जल संरक्षण के चार महत्वपूर्ण सिद्धांत—रिड्यूस, रियूज, रिचार्ज, और रिसाइकिल—की शपथ दिलाई गई। इस कार्यशाला में सर्वोदय, पॉलिटेक्निक, जीजीआईसी आज़मगढ़, और इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के लगभग 400 छात्रों ने भाग लिया और जल संरक्षण की दिशा में ठोस प्रयास करने का संकल्प लिया।

आज़मगढ़ के प्राकृतिक जल संसाधनों—घाघरा और तमसा नदियों, और सलोना ताल जैसे तालाबों की समृद्धता को संरक्षित करने का यह संदेश न केवल छात्रों के लिए बल्कि समाज के हर तबके के लिए एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ। इस आयोजन ने जल संरक्षण के प्रति जागरूकता को बढ़ाने और इसे एक जन आंदोलन बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।