"साहब! चौकीदारी रहे या जाए, सच्चाई तो बतानी है" – थाने में चौकीदार का छलका दर्द, एसपी ग्रामीण से मांगा न्याय
- संवाददाता- आनन्द गुप्ता, अहरौला, आजमगढ़
अहरौला, आजमगढ़:
सोमवार को एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने अहरौला थाने का वार्षिक निरीक्षण किया, जहां चौकीदारों की शिकायतों और उनके दर्द ने सबको झकझोर कर रख दिया। निरीक्षण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी के बाद एसपी ग्रामीण चौकीदारों से सीधे संवाद करने पहुंचे। चौकीदारों ने अपनी समस्याओं को खुलकर रखा और तीन वर्षों से लाल साफा और जूते न मिलने की शिकायत की।
चौकीदारों की शिकायत पर मिला सम्मान
एसपी ग्रामीण ने चौकीदारों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए 40 चौकीदारों को लाल साफा प्रदान किया और उत्कृष्ट कार्य करने वाले चौकीदारों को नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
"थाने में दलाली का खेल" - चौकीदार ने छलकाया दर्द
इसी दौरान गहजी गांव के भकुही के चौकीदार सुरेश यादव अपने दर्द को रोक नहीं पाए और एसपी ग्रामीण चिराग जैन के सामने रो पड़े। उन्होंने खुलकर थाने की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा,
"साहब! मेरी चौकीदारी रहे या जाए, मुझे इसका गम नहीं। लेकिन थाने में जो चल रहा है, वह आपके सामने बयां करना जरूरी है।"
सुरेश यादव ने आरोप लगाया कि चौकीदारों द्वारा दी गई गोपनीय सूचनाएं थाने का स्टाफ दलालों के माध्यम से लीक कर देता है और मामले को सुविधाओं के बदले रफा-दफा कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, उनकी व्यक्तिगत समस्याएं भी इस दलाली की भेंट चढ़ चुकी हैं।
एसपी ने दिए जांच के निर्देश
चौकीदार की भावुक शिकायत पर एसपी ग्रामीण ने तत्काल मामले की गंभीरता को समझते हुए सुरेश यादव से लिखित शिकायत मांगी और आश्वासन दिया कि वे स्वयं मामले की जांच करेंगे।
निरीक्षण में कई खामियां उजागर
निरीक्षण के दौरान एसपी ग्रामीण ने थाने में कई खामियां पाईं और संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लंबित विवेचनाओं को शीघ्र निपटाया जाए और बीट में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
थाने में सुधार की दिशा में सख्त कदम
निरीक्षण के अंत में एसपी चिराग जैन ने थाने की साफ-सफाई को सराहा लेकिन पुलिस टीम को आवश्यक सुधार लाने की हिदायत दी। उन्होंने कहा, "समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता पर होगा। जो लोग थाने के सिस्टम में खामियां पैदा कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई तय है।"
जनमानस में उठे सवाल
चौकीदार सुरेश यादव का यह दर्द न केवल थाने की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि एसपी ग्रामीण की जांच से क्या चौकीदारों को न्याय मिलेगा या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा।
"चौकीदार का दर्द, थाने की हकीकत - क्या मिलेगा न्याय?"