आज़मगढ़ महोत्सव-2024: दिव्यांगजनों के हौसले की ट्राइसाइकिल रेस में जोश और जज़्बे का अद्वितीय प्रदर्शन
संवाददाता- मनोज कुमार सिंह, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
आज़मगढ़ महोत्सव-2024 के अंतर्गत आज कलेक्ट्रेट परिसर में एक विशेष आयोजन के रूप में ट्राइसाइकिल रेस का आयोजन हुआ। जिला प्रशासन आज़मगढ़ और लीड बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सहयोग से आयोजित इस प्रतियोगिता ने दिव्यांगजनों के साहस और दृढ़ संकल्प को सराहा। इस रोमांचक रेस में मुख्य अतिथि अंचल प्रमुख श्री मनीष कुमार और एल.डी.एम. श्री पवन मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में 18 से 40 वर्ष तक के कुल 25 दिव्यांगजनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपने असीमित साहस का परिचय दिया।
प्रतियोगिता में श्री मो. आसिफ ने अपनी बेहतरीन प्रदर्शन से पहला स्थान हासिल कर रु. 5000 का नकद पुरस्कार जीता। दूसरे स्थान पर श्री राहुल निषाद रहे, जिन्हें रु. 3000 की धनराशि से नवाजा गया। तीसरा स्थान श्री मनोज मौर्य के नाम रहा, जिन्होंने रु. 2000 की धनराशि प्राप्त की। प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में श्री अभय मौर्य, श्री राहुल निषाद, श्री सतीष कुमार और श्रीमती रीना को रु. 500 के पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो यूनियन बैंक के आर.एम. श्री मनीष कुमार द्वारा प्रदान किए गए।
इस कार्यक्रम में दिव्यांगजनों के हौसले को एक नई ऊंचाई देने में न्यू कला केंद्र समिति की सुश्री विभा गोयल और श्री अजय कुमार मौर्य का अद्वितीय योगदान रहा।
मुख्य अतिथि श्री मनीष कुमार ने सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरण कर उनका हौसला बढ़ाया और उनके साहस की सराहना की। उन्होंने इस प्रकार के आयोजनों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम न केवल दिव्यांगजनों को प्रेरित करते हैं, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश फैलाते हैं। कार्यक्रम के सफल संचालन में जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी श्री शशांक सिंह और दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे, जिनमें श्री सुरेन्द्र लाल गौतम, श्री जितेंद्र प्रजापति, श्री अमित पांडेय, श्री ब्रजभूषण त्रिपाठी, श्री चंचल कुमार सिंह और श्रीमती अजीज फातिमा प्रमुख रहे। आज़मगढ़ महोत्सव 2024 के इस अनूठे आयोजन ने यह साबित कर दिया कि जीवन की चुनौतियों के आगे कोई बाधा इतनी बड़ी नहीं होती, जिसे साहस और दृढ़ता से पार न किया जा सके। यह कार्यक्रम समाज के हर तबके के लिए प्रेरणा का स्रोत बना और दिव्यांगजनों के अदम्य जज़्बे का प्रतीक बनकर उभरा।