24 घंटे के भीतर लौटा नंदी, पर खंडित प्रतिमाएँ बनीं पीड़ा का कारण

24 घंटे के भीतर लौटा नंदी, पर खंडित प्रतिमाएँ बनीं पीड़ा का कारण
  • भोलेनाथ के धाम में अराजकता: श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस, टूटी प्रतिमाएँ और जगा जनाक्रोश

आजमगढ़। धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक श्री ठाकुर जी रामजानकी पंचदेव मंदिर, मझौवा, भदाँव (मालटारी, सगड़ी) में एक निंदनीय घटना घटी जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। कुछ अराजक तत्वों ने भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग, माता पार्वती की प्रतिमा और नंदी महाराज को क्षतिग्रस्त कर आस्था पर गहरा प्रहार किया। इस घटना के चलते समूचे क्षेत्र में आक्रोश का माहौल व्याप्त हो गया है।

इस पावन स्थल से अराजक तत्वों ने नंदी महाराज को हटा दिया, लेकिन समाज के बढ़ते दबाव और आस्था की शक्ति के चलते 24 घंटे के भीतर ही उन्हें वापस लाकर मंदिर परिसर में रख दिया गया। हालांकि, अब तक खंडित माता पार्वती की प्रतिमा और शिवलिंग के अरघा को पुनर्स्थापित नहीं किया जा सका है, जिससे श्रद्धालुओं की पीड़ा कम नहीं हो पाई है।

मंदिर की ऐतिहासिक विरासत

विक्रम संवत 1917-18 (सन् 1860 ई.) में स्थापित यह मंदिर श्री बद्दल साव (निवासी अंजान शहीद, तहसील सगड़ी, आजमगढ़) द्वारा निर्मित किया गया था। इस मंदिर की नींव विक्रम संवत 1912-13 (सन् 1855 ई.) में रखी गई थी। यह स्थल केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रमुख प्रतीक है।

श्रद्धालुओं में उबाल, प्रशासन से कठोर कार्रवाई की माँग

घटना की सूचना मिलते ही श्रद्धालुओं और ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। स्थानीय प्रशासन हरकत में आया और अज्ञात अराजक तत्वों के खिलाफ बिलरियागंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया। पुलिस विभाग ने भरोसा दिलाया है कि दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा और उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। बद्दल साव सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार गुप्ता ने इस घटना को सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की गहरी साजिश करार दिया और प्रशासन से शीघ्र न्याय की माँग की। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएँ समाज को विभाजित करने की कोशिश हैं, जिसे सहन नहीं किया जा सकता।

मंदिर के जीर्णोद्धार में परिवार का योगदान

विक्रम संवत 2079 (15 नवंबर 2022 ई.) को इस मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार हुआ, जो श्री बद्दल साव की पुण्य स्मृति में उनके वंशजों द्वारा कराया गया। इसमें प्रमुख योगदान देने वालों में सत्यप्रकाश गुप्ता, प्रकाश गुप्ता, सुभाष गुप्ता, रमेश गुप्ता, रजनीश गुप्ता, राजेश कुमार गुप्ता (पत्रकार) और नीरज गुप्ता का नाम उल्लेखनीय है। यह घटना सिर्फ एक मंदिर पर हमला नहीं, बल्कि पूरे समाज की आस्था पर आघात है। श्रद्धालु दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और मंदिर की पुनर्स्थापना की माँग कर रहे हैं। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई और समाज की एकता ही इस अपराध का सही उत्तर होगी। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी जल्दी न्याय सुनिश्चित करता है और क्या धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।