केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यायालयिक विज्ञान सम्मेलन 2025 में नए आपराधिक कानूनों और फॉरेंसिक साइंस की भूमिका पर डाला प्रकाश

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने न्यायालयिक विज्ञान सम्मेलन 2025 में नए आपराधिक कानूनों और फॉरेंसिक साइंस की भूमिका पर डाला प्रकाश

नई दिल्ली, 14 अप्रैल 2025:
राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय न्यायालयिक विज्ञान सम्मेलन 2025 का उद्घाटन आज नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा किया गया। सम्मेलन का विषय था "नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन और आतंकवाद से निपटने में न्यायालयिक विज्ञान की भूमिका"

इस अवसर पर श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आपराधिक न्याय प्रणाली को जन-केंद्रित और वैज्ञानिक बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि "फॉरेंसिक साइंस के बिना समय पर न्याय दिलवाना और दोष सिद्धि दर में सुधार संभव नहीं है। आने वाले दशक में भारत दुनिया का सबसे ऊँचा दोष सिद्धि दर प्राप्त करने वाला देश बनेगा।"

श्री शाह ने बताया कि भारत में अपराध अब सीमा रहित (Borderless) हो गए हैं, और ऐसे में फॉरेंसिक साइंस की भूमिका अत्यंत आवश्यक हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि "जिन व्यक्तियों पर आरोप है और जो फरियादी हैं, उनके साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो, इसके लिए फॉरेंसिक साइंस को न्याय प्रणाली में शामिल करना आवश्यक है।"

उन्होंने जानकारी दी कि NFSU के अब तक सात परिसर स्थापित हो चुके हैं और आगामी छह महीनों में नौ नए परिसर और शुरू किए जाएंगे। इन परिसरों से हर वर्ष लगभग 36,000 प्रशिक्षित युवा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूती प्रदान करेंगे।

नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) – के बारे में बोलते हुए श्री शाह ने कहा कि यह 21वीं सदी का सबसे बड़ा कानूनी सुधार है, जिसमें भविष्य की तकनीकों को भी ध्यान में रखकर प्रावधान जोड़े गए हैं।

उन्होंने कहा कि पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका के लिए समय-सीमा तय की गई है ताकि समय पर न्याय सुनिश्चित हो सके। साथ ही, टेक्नोलॉजी जैसे ई-समन, ई-डॉक्यूमेंट, वीडियो रिकॉर्डिंग और डिजिटल एविडेंस को कानूनी मान्यता दी गई है। इससे बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में तेजी से सजा देने की मिसालें सामने आई हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि अपराधियों और अपराध की निगरानी के लिए CCTNS, e-Courts, e-Prison, e-Forensics और NAFIS जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को जोड़ा गया है। आने वाले समय में इन सभी डाटाबेस को AI के माध्यम से जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराया जाएगा।

सम्मेलन के दौरान श्री शाह ने फॉरेंसिक विज्ञान में अनुसंधान, स्वदेशी टेक्नोलॉजी के विकास और समाज को अपराधमुक्त बनाने की दिशा में NFSU की भूमिका को भी सराहा। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक साइंस का उपयोग कर समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और अपराध नियंत्रण के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर NHRC अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमणियन, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, गृह सचिव गोविंद मोहन, और NFSU कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास सहित कई विशिष्ट गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

सम्मेलन में भाग लेने वाले युवाओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और हिन्दी भाषा के प्रयोग के लिए पुरस्कृत भी किया गया।