सतत आजीविका के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मिशन: नोडल अधिकारियों ने मिलकर बनाया सामूहिक विकास का खाका

सतत आजीविका के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मिशन: नोडल अधिकारियों ने मिलकर बनाया सामूहिक विकास का खाका
सतत आजीविका के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मिशन: नोडल अधिकारियों ने मिलकर बनाया सामूहिक विकास का खाका

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 22 अक्टूबर, 2024 को प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय द्वारा सतत आजीविका प्रणाली के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मिशन के नोडल अधिकारियों का विचार-मंथन सत्र आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक बैठक की अध्यक्षता वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने की, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इस मंच पर जुटे प्रमुख अधिकारी, जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय और कृषि विभाग सहित कई महत्वपूर्ण संस्थाएं शामिल थीं, ने सामूहिक प्रयासों के माध्यम से देश में सतत विकास को गति देने के लिए अपने विचार साझा किए। मिशन का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक उपलब्धियों और नवीन तकनीकों का उपयोग करके आजीविका के साधनों को बढ़ाना और समाज के विभिन्न वर्गों को एक स्थायी भविष्य की ओर अग्रसर करना है। इस दिशा में 19 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) द्वारा इस मिशन की सिफारिश की गई थी। 

डॉ. मैनी ने अपने उद्घाटन भाषण में मिशन की महत्ता को रेखांकित किया और कहा कि इस मिशन का फोकस विज्ञान, तकनीक और नवाचार के प्रभावी इस्तेमाल के जरिए सभी के लिए कनेक्टिविटी और समावेशी आजीविका मॉडल तैयार करना है। इस सत्र का उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों के योगदान को स्पष्ट करना और पायलट परियोजनाओं के लिए स्थानों का चयन करना था, जो सामुदायिक विकास और जीवन गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक मजबूत प्रौद्योगिकी वितरण प्रणाली का निर्माण करेगा। प्रस्तुतियों के दौरान डॉ. संगीता अग्रवाल ने मिशन के उद्देश्यों और मंत्रालयों की भूमिका को रेखांकित करते हुए पायलट प्रोजेक्ट्स के लिए स्थान चयन की रणनीति पर प्रकाश डाला। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और आईआईटी दिल्ली के उन्नत भारत अभियान की प्रस्तुतियों ने भी इस दिशा में एक नई दृष्टि प्रस्तुत की। बैठक के अंत में, विभिन्न मंत्रालयों के नोडल अधिकारियों ने अपनी योजनाओं के बारे में जानकारी साझा की और राष्ट्रीय मिशन को सफल बनाने के लिए उनके सम्मिलन और आपसी सहयोग की महत्ता पर जोर दिया। यह सामूहिक प्रयास सतत विकास और स्थायी आजीविका की दिशा में एक सशक्त कदम के रूप में देखा जा रहा है।