भारत-रूस मित्रता संधि – एक ऐतिहासिक सहयोग का आगाज

भारत-रूस मित्रता संधि – एक ऐतिहासिक सहयोग का आगाज

नई दिल्ली, 1991: भारतीय संसद में 1991 में एक ऐतिहासिक दिन था, जब भारत और रूस के बीच "भारत-रूस मित्रता संधि" पर हस्ताक्षर किए गए। यह संधि दोनों देशों के बीच सैन्य और आर्थिक सहयोग को मजबूती प्रदान करती है, जो न केवल उन देशों के रिश्तों को नया आकार देती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।

सैन्य और आर्थिक सहयोग का विस्तार:
यह संधि भारत और रूस के बीच सुरक्षा और रक्षा मामलों में सहयोग बढ़ाने, विशेषकर सैन्य आपूर्ति, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साबित हुई। इसके तहत दोनों देशों ने अपनी सुरक्षा नीतियों को सुदृढ़ करने का संकल्प लिया और विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में साझेदारी को बढ़ावा दिया।

रूस-भारत संबंधों का नया अध्याय:
भारत और रूस के रिश्ते सैकड़ों वर्षों से सुदृढ़ रहे हैं, और इस संधि ने उसे और मजबूत किया। दोनों देशों ने एक दूसरे के सामरिक और आर्थिक हितों को साझा किया, जिससे दोनों के बीच घनिष्ठ सहयोग और विश्वस्तरीय साझेदारी को नया दृष्टिकोण मिला।

दुनिया में प्रभाव:
यह संधि सिर्फ दो देशों के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक संदेश थी कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ खड़े हैं। इस संधि के माध्यम से भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र को और मजबूत किया और रूस ने भारत के साथ अपने पुराने संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।


नवीनतम सहयोग:
भारत-रूस की मित्रता का यह कदम दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग की दिशा में एक और बड़ा कदम साबित हुआ। दोनों देशों के मजबूत संबंधों ने ना केवल एशिया बल्कि दुनिया भर में साझेदारी की मिसाल प्रस्तुत की।

संपादकीय विचार:
भारत और रूस के बीच इस मित्रता संधि ने वैश्विक संबंधों की एक नई परिभाषा दी और यह दर्शाया कि कूटनीतिक और सैन्य साझेदारी देशों के विकास और सुरक्षा के लिए कितनी महत्वपूर्ण होती है।