अशोक सेवा संस्थान ने महाबोधि बौद्ध महाविहार को ब्राह्मणों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की, राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

सामाजिक संगठन अशोक सेवा संस्थान ने आज जिलाधिकारी महोदया के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें महाबोधि बौद्ध महाविहार को ब्राह्मणों के अवैध कब्जे से मुक्त कराने की मांग की गई है। ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया कि महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 ब्राह्मणों द्वारा बनाकर मंदिर पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया गया है, जिसके कारण बौद्ध अनुयायियों और बौद्ध भिक्षुओं की भावनाएं आहत हो रही हैं।
महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 में संशोधन की मांग
अशोक सेवा संस्थान ने अपने ज्ञापन में यह मांग की है कि महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 में संशोधन कर महाबोधि महाविहार के संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु गठित समिति में केवल बौद्ध भिक्षुओं को ही शामिल किया जाए। संगठन का कहना है कि महाबोधि बौद्ध महाविहार, विश्व बौद्ध अनुयायियों की धरोहर है और इस पर किसी अन्य धर्म का अधिकार अनुचित है।
शिवलिंग स्थापना और ऐतिहासिक अपमान का मुद्दा
संगठन ने सवाल उठाया कि महाबोधि महाविहार परिषद में शिवलिंग कैसे स्थापित हुआ? सन 1895 में अनागरिक धम्मपाल बनाम महंत के केस में आए जजमेंट के बावजूद, मुख्य बुद्ध विहार के बगल में शिवलिंग की स्थापना तथा बुद्ध विहार की दीवारों पर पांडवों का उल्लेख करना विश्व धरोहर का अपमान है।
पुरातात्विक धरोहर की सुरक्षा की मांग
संगठन का कहना है कि महंत की कोठी में सैकड़ों भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं, शिलालेख और अभिलेख पड़े हैं, जिन्हें पुरातत्व विभाग को सौंपकर संग्रहालय में सुरक्षित रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अशोक सेवा संस्थान ने मांग की है कि महाबोधि परिषद के आस-पास दूसरे धर्मों के लोग लाउडस्पीकर लगाकर वातावरण को खराब कर रहे हैं, जिसे संज्ञान में लेकर हटाया जाए, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।
सम्राट अशोक के महल की खोज की मांग
ज्ञापन में यह भी आग्रह किया गया है कि पुरातत्व विभाग को निर्देशित किया जाए कि वह महाबोधि महाविहार के पास स्थित सम्राट अशोक के महल के अवशेषों की खोज करें और बोधगया का इतिहास उजागर करें।
भगवान बुद्ध की आकृतियों के अपमान पर रोक लगाने की मांग
अशोक सेवा संस्थान ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि कुछ कंपनियाँ भगवान बुद्ध की आकृतियों को गमले जैसी चीज़ों में ढालकर बेच रही हैं, जो न केवल भगवान बुद्ध का अपमान है, बल्कि बौद्ध अनुयायियों की भावनाओं को भी ठेस पहुँचाने वाला है। संस्था ने ऐसी कंपनियों को तत्काल प्रभाव से बंद कराने की मांग की है।
राष्ट्रपति से न्याय की अपील
अशोक सेवा संस्थान ने राष्ट्रपति महोदया से निवेदन किया है कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई कर महाबोधि बौद्ध महाविहार को बौद्ध भिक्षुओं को सौंपा जाए, जिससे विश्व बौद्ध समुदाय की भावनाओं का सम्मान हो सके और ऐतिहासिक धरोहर का सही प्रकार से संरक्षण किया जा सके।