नन्हे सपनों पर ताले: शिक्षा के मंदिर में बेपरवाही की दस्तक!

नन्हे सपनों पर ताले: शिक्षा के मंदिर में बेपरवाही की दस्तक!

आजमगढ़: देश जहां नई पीढ़ी के सुनहरे भविष्य के लिए शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिशों में लगा है, वहीं ज़मीनी हकीकत किसी और ही कहानी की तस्वीर पेश करती है। प्राथमिक विद्यालय, सेमरी (शिक्षा क्षेत्र महाराजगंज, जनपद आजमगढ़, उत्तर प्रदेश) में शिक्षा की दुर्दशा ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।  

आर.वी.9 न्यूज़ की टीम ने जब इस विद्यालय का दौरा किया, तो दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर विद्यालय के दरवाजे बंद मिले। विद्यालय की खामोशी ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।  

विद्यालय की अनियमितता: कौन है जिम्मेदार?

ग्राम प्रधान दशरथ निषाद के अनुसार, विद्यालय में तीन शिक्षक नियुक्त हैं—प्रधानाध्यापक हरिकेश यादव, सहायक अध्यापक निखिल मध्देशिया, और शिक्षिका सुनीता। लेकिन दुर्भाग्यवश, तीनों ही अपनी जिम्मेदारियों से विमुख दिखाई देते हैं। आरोप है कि शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं आते और अक्सर समय से पहले चले जाते हैं। 

जब प्रधानाध्यापक हरिकेश यादव से फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि विद्यालय पंचायत भवन से संचालित होता है। हालांकि, टीम ने पंचायत भवन का भी दौरा किया और पाया कि वहाँ भी ताले लटके हुए थे। प्रधानाध्यापक ने अपनी सफाई में शिक्षकों पर आरोप लगाने शुरू कर दिए।  

आँगनवाड़ी कार्यकत्रियों पर निर्भरता

ग्राम प्रधान के अनुसार, शिक्षकों की गैरहाजिरी में पढ़ाई का जिम्मा आँगनवाड़ी कार्यकत्रियों पर डाल दिया जाता है। कभी-कभी आँगनवाड़ी कार्यकत्रियों को 2-2 दिन तक पढ़ाने के लिए बुला लिया जाता है। लेकिन इस अदलाबदली में बच्चों की शिक्षा का स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है।  

महिला शिक्षिका का दर्द और बच्चों का भविष्य

शिक्षिका सुनीता ने टीम को बताया कि वह अपने बीमार बच्चे की देखभाल कर रही थीं और उन्हें छुट्टी की स्वीकृति नहीं दी गई। महिला शिक्षकों को विद्यालय तक पहुंचने में सुविधाओं की कमी भी प्रमुख समस्या है।  

जब टीम ने गांव के बच्चों और उनके अभिभावकों से बात की, तो सभी ने शिक्षकों की अनुपस्थिति और लापरवाही पर सवाल उठाए। बच्चों ने स्वीकारा कि उन्हें कुछ भी सिखाया नहीं जा रहा है, जिससे उनके भविष्य पर गहरा असर पड़ रहा है।  

भविष्य का सवाल: कौन लेगा जिम्मेदारी?

ग्राम प्रधान ने यह भी बताया कि यह विद्यालय घाघरा नदी पार बेलघाट के नजदीक स्थित है, जहां तक पहुंचने में मुश्किलें आती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद, न तो अधिकारी जांच के लिए आते हैं और न ही कोई ठोस कार्रवाई होती है।  

अगर यही स्थिति रही तो इन नन्हे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सवाल उठता है, दोषी कौन है—शिक्षक, प्रशासन, या शिक्षा विभाग की उदासीनता? 

 

समाज की आवाज़: शिक्षा में सुधार की दरकार  

शिक्षा, जो बच्चों का मौलिक अधिकार है, ऐसे हालात में अपनी गरिमा खोती जा रही है। अगर समय रहते इस विद्यालय की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न केवल बच्चों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए हानिकारक साबित होगा। 

खण्ड शिक्षा अधिकारी अजय तिवारी बोले: शिक्षा के मंदिर में लापरवाही बर्दाश्त नहीं, होगी सख्त कार्रवाई!

प्राथमिक विद्यालय, सेमरी में शिक्षकों की लापरवाही और बंद विद्यालय के मामले ने शिक्षा विभाग को हिला कर रख दिया है। इस मुद्दे पर खण्ड शिक्षा अधिकारी अजय तिवारी ने अपना पक्ष रखते हुए सख्त रुख अपनाने का आश्वासन दिया।

"मामले को गंभीरता से लिया गया है और पूरी जांच की जाएगी , जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है," अजय तिवारी ने कहा।

शिक्षा का मंदिर बंद और नन्हे सपने बेघर, कब मिलेगा इन बच्चों को न्याय?  

अब यह जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह तुरंत जांच कर इस विद्यालय में सुधार लाए और बच्चों को उनका हक दिलाए।  

इस खबर का मकसद न केवल एक विद्यालय की सच्चाई उजागर करना है, बल्कि समाज को यह अहसास कराना भी है कि शिक्षा में लापरवाही किसी भी राष्ट्र के लिए सबसे बड़ी विफलता है।