माँ की पुण्यतिथि पर अनूठी मिसाल: गरीबों की सेवा में बंटे कंबल और शाल, मानवता की अनमोल परछाई

माँ की पुण्यतिथि पर अनूठी मिसाल: गरीबों की सेवा में बंटे कंबल और शाल, मानवता की अनमोल परछाई
माँ की पुण्यतिथि पर अनूठी मिसाल: गरीबों की सेवा में बंटे कंबल और शाल, मानवता की अनमोल परछाई

संवाददाता- आनन्द गुप्ता, अहरौला, आजमगढ़

अहरौला, आजमगढ़:
"मानवता से बड़ा कोई परोपकार नहीं और दया से बड़ा कोई धर्म नहीं" – इस वाक्य को चरितार्थ करते हुए बिलारी लखनपुर ग्राम सभा में स्वर्गीय लालती देवी की प्रथम पुण्यतिथि पर उनके पुत्रों ने जरूरतमंदों को सम्मान और सहायता देकर सामाजिक सेवा की मिसाल पेश की।

कैप्टन चंद्र भूषण सिंह और उनके परिजनों ने गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को ठंड से राहत देने के लिए कंबल और शाल वितरित किए। इस आयोजन के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान भी किया गया, जिसमें 1500 से अधिक गरीब और जरूरतमंद लोग शामिल हुए।

संतों और जनप्रतिनिधियों का सान्निध्य
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री श्री 1008 दुर्वासा महामंडलेश्वर के कृपापात्र संत शुभम दास रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में भाजपा नेता आरपी राय और श्रम विभाग के अधिकारी अनिल सिंह मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना से हुई।

"जाति नहीं, सिर्फ गरीब की पहचान होती है"
भाजपा नेता आरपी राय ने श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कहा, "मैं उस माँ को नमन करता हूं, जिनकी कोख से ऐसे पुत्र जन्मे हैं, जो समाज के गरीबों और वंचितों की चिंता करते हैं। समाज को जात-पात से ऊपर उठकर शोषितों और असहायों की मदद करनी चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा कि समाज में जाति का कोई बंधन नहीं है। गरीब, महिलाएं, शोषित और वंचित ही असली पहचान रखते हैं और ऐसे सामाजिक कार्यों के जरिए ही समाज को नई दिशा दी जा सकती है।

सामाजिक सरोकारों की मिसाल
राष्ट्रीय संस्था "प्रयास" के अध्यक्ष रणजीत सिंह ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, "मैं इस परिवार को बचपन से जानता हूं। इस परिवार का इतिहास रहा है कि जब भी किसी जरूरतमंद को सहायता की आवश्यकता हुई, इन्होंने हमेशा मदद का हाथ बढ़ाया।" उन्होंने लोगों से अपील की कि जो सक्षम हैं, वे गरीबों और असहायों की मदद के लिए आगे आएं।

1500 से अधिक जरूरतमंदों को मिला सम्मान और राहत
कार्यक्रम में 15 गांवों से करीब 1500 गरीबों को चिन्हित कर आमंत्रित किया गया। सभी को सम्मान के साथ कंबल और शाल वितरित किए गए। साथ ही उनके लिए विशेष जलपान की व्यवस्था भी की गई।

"दूसरों के दर्द को समझना ही सच्ची मानवता"
कार्यक्रम को सफल बनाने में कैप्टन चंद्र भूषण सिंह, वेद प्रकाश सिंह, अविनाश सिंह, सूर्य प्रकाश सिंह, विजय बहादुर सिंह, अभिषेक सिंह वावी, राम कुवर सिंह, अमित राय समेत अन्य गणमान्य लोगों का विशेष योगदान रहा।

समाज के लिए प्रेरणादायक संदेश
यह आयोजन न केवल स्वर्गीय लालती देवी के प्रति श्रद्धांजलि थी, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी बनी कि मानवता और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इस कार्यक्रम ने साबित किया कि किसी भी पुण्यकार्य की शुरुआत समाज के सबसे जरूरतमंद वर्ग को सम्मान देने से होती है।

"माँ की पुण्यतिथि पर मिला सच्चा सम्मान – जब कंबल के साथ बंटी दया और सेवा की छांव"