सिंचाई विभाग के 410 पद खत्म करने पर बिफरे कर्मचारी, परिषद ने सरकार को बताया 'हिटलरशाही', काली पट्टी बांधकर विरोध का एलान

“सरकारी सेवाओं की हत्या बंद करे सरकार, नहीं तो होगा बड़ा आंदोलन” — परिषद अध्यक्ष रूपेश श्रीवास्तव
गोरखपुर | 21 मई 2025
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई विभाग में 410 पदों को समाप्त करने के आदेश के विरोध में कर्मचारियों में उबाल है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘तानाशाही’ करार दिया है। मंगलवार को न्यू कैंप कार्यालय में आयोजित विरोध बैठक में कर्मचारियों ने सरकार के इस कदम को बेरोजगारी को बढ़ाने वाला और युवाओं की आजीविका पर संकट लाने वाला बताया।
बैठक की अध्यक्षता परिषद अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने की, जबकि संचालन महामंत्री मदन मुरारी शुक्ल ने किया। बैठक में विरोध स्वरूप कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर काम करने की घोषणा की और चेतावनी दी कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।
सरकारी आदेश बना युवाओं के सपनों का दुश्मन
महामंत्री मदन मुरारी शुक्ल ने बताया कि 14 मई 2025 को जारी शासनादेश के अनुसार, सरकार ने सिंचाई विभाग के अनेक परंपरागत और तकनीकी पदों को खत्म कर दिया है, जिनमें शामिल हैं:
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आर्मेचर
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बाइंडर
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टरवाइन मिस्त्री
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पेंटर
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बढ़ई
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फिटर एवं मिस्त्री
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नलकूप चालक
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सिचपाल
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डुप्लिकेटिंग मशीन ऑपरेटर
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टेलीफोन ऑपरेटर
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तिंडैल और नायब तिंडैल
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जिलेदार
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वेट क्लर्क
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फिल्टर हाउस ऑपरेटर
इन पदों के हटाए जाने से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हजारों युवाओं के सपनों पर पानी फिर गया है।
परिषद की चेतावनी: “हक की लड़ाई में पीछे नहीं हटेंगे”
बैठक में अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा:
“एक तरफ सरकार कर्मचारियों की जरूरतों और समस्याओं की अनदेखी कर रही है, दूसरी तरफ पद समाप्त कर रोज़गार के अवसर खत्म कर रही है। ये हिटलरशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार को आदेश वापस लेना होगा, नहीं तो हम सड़कों पर उतरेंगे।”
कर्मचारी नेताओं ने दी एकता की आवाज
बैठक में कई वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं ने भी अपनी बात रखी।
राजेश सिंह, पंडित श्याम नारायण शुक्ल, अशोक पांडे, अनिल द्विवेदी, कनिष्क गुप्ता, इजहार अली, अनूप कुमार, फुलाई पासवान, राजेश मिश्रा, जामवंत पटेल, यशवीर श्रीवास्तव, गो सेवक, और वरुण बैरागी सहित तमाम नेता मौजूद रहे।
इन सभी ने एक स्वर में कहा कि परिषद का यह आंदोलन कर्मचारियों की गरिमा और युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए है। यदि सरकार नहीं जागी, तो यह विरोध चिंगारी से ज्वाला बन जाएगा।
समाज और सरकार से सवाल
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क्या तकनीकी कर्मचारियों की भूमिका अब खत्म मानी जा रही है?
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क्या सरकार की मंशा सरकारी सेवाओं को ठेका प्रणाली में बदलने की है?
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क्या लाखों बेरोजगार युवाओं की मेहनत अब व्यर्थ हो जाएगी?
निष्कर्ष:
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का यह विरोध केवल पदों के बचाव का नहीं, बल्कि सरकारी सेवाओं की गरिमा और युवाओं के भविष्य की लड़ाई है। सरकार को चाहिए कि इस फैसले पर पुनर्विचार करे, अन्यथा यह मुद्दा सिर्फ सिंचाई विभाग तक सीमित न रहकर प्रदेशव्यापी जनांदोलन का रूप ले सकता है।