आईएनएस तुशील सेशेल्स पहुंचा: हिंद महासागर में भारत की मजबूत समुद्री साझेदारी का प्रतीक

आईएनएस तुशील सेशेल्स पहुंचा: हिंद महासागर में भारत की मजबूत समुद्री साझेदारी का प्रतीक

पोर्ट विक्टोरिया, सेशेल्स: भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस तुशील अपने पहले परिचालन सफर के तहत 07 फरवरी 2025 को सेशेल्स के पोर्ट विक्टोरिया पहुंचा। अफ्रीका के पश्चिमी तट की यात्रा के दौरान जहाज की यह उपस्थिति भारत और सेशेल्स के बीच ऐतिहासिक मैत्री और रणनीतिक सहयोग का मजबूत प्रतीक है। भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों और नौसेना टुकड़ी के प्रतिनिधियों ने आईएनएस तुशील का भव्य स्वागत किया।

बंदरगाह पर पहुंचने के बाद कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन पीटर वर्गीस ने सेशेल्स में भारत के उच्चायुक्त श्री कार्तिक पांडे और सेशेल्स रक्षा बलों के प्रमुख मेजर जनरल माइकल रोसेट की मेजबानी की। इस यात्रा के दौरान निशार-मित्र टर्मिनल का भी प्रदर्शन किया गया, जो समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक साबित होगा।

भारत-सेशेल्स: ऐतिहासिक संबंधों की अमिट धरोहर

भारत और सेशेल्स के बीच द्विपक्षीय संबंधों की जड़ें ऐतिहासिक संपर्कों से जुड़ी हुई हैं। 1976 में जब सेशेल्स को स्वतंत्रता मिली, तो भारतीय नौसेना का आईएनएस नीलगिरि इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना था। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आईएनएस तुशील की यह यात्रा हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों देशों के बीच मजबूत मित्रता, आपसी समझ और रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास है।

हिंद महासागर में भारत की निर्णायक उपस्थिति

आईएनएस तुशील की यह यात्रा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की मजबूत समुद्री नीति का प्रतिबिंब है। भारत लगातार अपने मित्र देशों के साथ नौसैनिक सहयोग बढ़ाकर समुद्री सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और रणनीतिक साझेदारी को और अधिक सशक्त बना रहा है।

सशक्त भारत, सशक्त समुद्री कूटनीति

सेशेल्स के साथ भारत का रक्षा और रणनीतिक सहयोग इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। आईएनएस तुशील की यह यात्रा न केवल भारत-सेशेल्स के रक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की मजबूत नौसैनिक उपस्थिति को भी रेखांकित करेगी।

आईएनएस तुशील का यह ऐतिहासिक दौरा भारत और सेशेल्स के बीच गहरी मित्रता और रणनीतिक सहयोग को नई ऊंचाई देगा, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को और अधिक मजबूती मिलेगी।