भारत की वैज्ञानिक शक्ति का स्वर्णिम युग: वैक्सीन से चंद्रयान तक वैश्विक सफलता की गूंज
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैक्सीन निर्माण से लेकर चंद्रयान मिशन तक भारत की उपलब्धियां देश की अभूतपूर्व प्रगति की गवाही देती हैं। उन्होंने विज्ञान भारती के नए परिसर के उद्घाटन के अवसर पर यह विचार साझा किए और इसे वैज्ञानिक नवाचारों एवं ज्ञान-विचारों के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण केंद्र बताया।
डॉ. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विज्ञान के क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी युग का साक्षी बन रहा है। उन्होंने बताया कि कैसे प्रधानमंत्री वैज्ञानिक समुदाय को न केवल प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि संसाधनों के साथ इसे मजबूत भी कर रहे हैं, जिससे शोध और नवाचार के नए द्वार खुल रहे हैं।
वैज्ञानिक उपलब्धियों में भारत का दबदबा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीते वर्षों में भारत द्वारा अर्जित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियों का उल्लेख किया, जिनमें प्रमुख हैं:
✔ पहला डीएनए वैक्सीन – जिसने महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी।
✔ पहला स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन – सर्वाइकल कैंसर से लड़ने में एक क्रांतिकारी कदम।
✔ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में शानदार प्रगति – भारत ने देर से शुरुआत की, लेकिन आज वह विश्व की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों में शामिल है।
✔ जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता – 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित।
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संगम
डॉ. सिंह ने भारत के पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक के समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भारत की समृद्ध विरासत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को संरक्षित करने का एक अनमोल प्रयास है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ओडिशा का कोणार्क मंदिर, जो 2000 के सुपर साइक्लोन के बाद भी अडिग खड़ा रहा, भारत की वास्तुकला की अद्वितीय शक्ति को दर्शाता है। इसी तरह, महामारी के दौरान पश्चिमी देशों द्वारा होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर झुकाव यह प्रमाणित करता है कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली कितनी प्रभावशाली है।
विज्ञान भारती: भारत के वैज्ञानिक एकीकरण का केंद्र
डॉ. सिंह ने कहा कि अब एकीकरण कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन गया है। उन्होंने विज्ञान भारती से अपील की कि वह वैज्ञानिक समुदाय और उद्योगों के बीच एक इंटरफेस की तरह कार्य करे, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति को और गति मिले।
वैश्विक वैज्ञानिक शक्ति बनने की दिशा में भारत
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ के निर्माण की सफलता को भी गर्व से साझा किया, जिससे भारत वैश्विक फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में अपनी मजबूती और नवाचार की दिशा में एक और कदम बढ़ा रहा है।
डॉ. सिंह ने विश्वास जताया कि भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति केंद्र बनने की राह पर अग्रसर है और आने वाले वर्षों में भारत का विज्ञान जगत विश्व मंच पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा।