सूर्य के रहस्यों की गहराई: कोडईकनाल टेलीस्कोप से नई खोजें
बैंगलोर, 23 अगस्त।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के खगोलविदों ने कोडईकनाल टॉवर टनल टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए सौर मंडल की गहन परतों में चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन किया है, जो सूर्य के जटिल रहस्यों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह खोज हमें सूर्य के आंतरिक क्रियाकलापों को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है, जो हमारे सौर मंडल के ऊर्जा संतुलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस अध्ययन के पीछे प्रमुख वैज्ञानिक, डॉ. के. नागराजू और उनकी टीम ने सूर्य की विभिन्न परतों, विशेष रूप से क्रोमोस्फेयर में चुंबकीय क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया। इन परतों में चुंबकीय क्षेत्रों को मापने के लिए हाइड्रोजन-अल्फा (Hα) और कैल्शियम-II जैसी स्पेक्ट्रल लाइनों का उपयोग किया गया, जिससे सूर्य के आंतरिक और बाहरी परतों के बीच ऊर्जा और कणों के स्थानांतरण को समझा जा सके। यह स्थानांतरण "कोरोनल हीटिंग समस्या" के रूप में जाना जाता है और सौर पवन की उत्पत्ति का मुख्य कारण है।इस अध्ययन में कोडईकनाल सौर वेधशाला के टनल टेलीस्कोप से प्राप्त डेटा का उपयोग किया गया, जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की गहराइयों में झांकने की अद्भुत क्षमता रखता है। टेलीस्कोप की अनूठी संरचना में तीन दर्पण शामिल हैं, जिनमें से एक सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखता है, जबकि अन्य दो दर्पण सूर्य की रोशनी को केंद्रित करते हैं। यह प्रणाली सौर मंडल के जटिल चुंबकीय क्षेत्रों की परत-दर-परत जांच करने में मदद करती है।शोधकर्ताओं ने पाया कि Hα स्पेक्ट्रल लाइन, क्रोमोस्फेयर में चुंबकीय क्षेत्रों की माप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और इसका उपयोग सौर मंडल की गहरी परतों में होने वाली प्रक्रियाओं को समझने के लिए किया जा सकता है। इस तकनीक का उपयोग करते हुए, उन्होंने पाया कि क्रोमोस्फेरिक चुंबकीय क्षेत्र की ताकत फोटोस्फेयर की तुलना में कमजोर होती है, जो यह संकेत देती है कि Hα लाइन ऊपरी वायुमंडलीय परतों का नमूना लेती है।अध्ययन के परिणामों ने सूर्य के आंतरिक रहस्यों को उजागर करने के लिए नए द्वार खोले हैं। यह शोध, डेनियल के. इनौये सोलर टेलीस्कोप (डीकेआईएसटी), आगामी यूरोपीय सोलर टेलीस्कोप (ईएसटी), और नेशनल लार्ज सोलर टेलीस्कोप (एनएलएसटी) जैसे भविष्य के अवलोकन उपकरणों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो सौर मंडल के चुंबकीय क्षेत्रों की परत-दर-परत गहराई से जांच करने में मदद करेंगे। डॉ. नागराजू और उनकी टीम का यह अध्ययन, जो **"द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल"** में प्रकाशित होने वाला है, सूर्य के जटिल चुंबकीय क्षेत्र की समझ को और बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है। यह अध्ययन न केवल खगोल भौतिकी के क्षेत्र में, बल्कि सौर ऊर्जा और मौसम विज्ञान के अध्ययन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।
आईआईए में पीएचडी के छात्र हर्ष माथुर ने कहा, "हाइड्रोजन-अल्फा लाइन क्रोमोस्फेरिक चुंबकीय क्षेत्रों की जटिलताओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है, क्योंकि यह तापमान में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव की घटनाओं के प्रति कम संवेदनशील होता है।" यह अध्ययन भविष्य में सूर्य के रहस्यों को उजागर करने के लिए अधिक जटिल और सटीक अवलोकन तकनीकों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।