जीनोम इंडिया परियोजना: ग्रामीण, शहरी और जनजातीय आबादी का संतुलित अध्ययन, विज्ञान के नए द्वार खोलने की तैयारी!

जीनोम इंडिया परियोजना: ग्रामीण, शहरी और जनजातीय आबादी का संतुलित अध्ययन, विज्ञान के नए द्वार खोलने की तैयारी!

नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि जीनोम इंडिया परियोजना के तहत देश के विविध समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। परियोजना में 36.7% नमूने ग्रामीण क्षेत्रों से, 32.2% शहरी आबादी से और 31.1% जनजातीय समुदायों से एकत्र किए गए, जिससे यह अध्ययन व्यापक और समावेशी बना है।

परियोजना के सामने आईं चुनौतियां

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना को साकार करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें प्रमुख रूप से भौगोलिक कठिनाइयां, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक बाधाएं, जागरूकता की कमी, डेटा प्रतिनिधित्व में असंतुलन और लॉजिस्टिक चुनौतियां शामिल थीं। आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचना मुश्किल था, वहीं आनुवंशिक अनुसंधान को लेकर भ्रम और मिथक भी बड़ी बाधा बने।

रणनीतियों से बदली तस्वीर

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पूर्व-नियोजित रणनीतियों को अपनाया गया। स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों, सामुदायिक नेताओं और प्रतिनिधियों को शामिल कर भरोसा कायम किया गया। डेटा संग्रह आसान बनाने के लिए लॉजिस्टिक हब बनाए गए और दूरदराज के इलाकों में सुविधाओं को सुगम बनाने के लिए विशेष अभियान चलाए गए

भविष्य के लिए आशाएं

यह परियोजना भारत की विविध जैव-आनुवंशिक संरचना को समझने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है, जो स्वास्थ्य सेवाओं, दवा निर्माण और अनुवांशिक चिकित्सा में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यह अध्ययन भारत की वैज्ञानिक प्रगति को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला साबित होगा