वेसाक दिवस पर भारत-वियतनाम मैत्री का आलोक: श्री किरेन रिजिजू ने दिया वैश्विक एकता और बुद्ध दर्शन का संदेश”

वेसाक दिवस पर भारत-वियतनाम मैत्री का आलोक: श्री किरेन रिजिजू ने दिया वैश्विक एकता और बुद्ध दर्शन का संदेश”

6 मई
संयुक्त राष्ट्र वेसाक दिवस के शुभ अवसर पर वियतनाम की सांस्कृतिक राजधानी हो ची मिन्ह सिटी में आज एक भव्य अंतरराष्ट्रीय समारोह आयोजित किया गया, जिसमें भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए बुद्ध दर्शन की सार्वभौमिक शिक्षाओं और भारत-वियतनाम के आध्यात्मिक संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान की।

इस भव्य आयोजन में वियतनाम के राष्ट्रपति श्री लुओंग कुओंग, श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके, वियतनाम बौद्ध संघ के संघराजा थिच त्रि क्वांग सहित अनेक राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

श्री रिजिजू ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा, “भगवान बुद्ध की शाश्वत शिक्षाएं आज की वैश्विक चुनौतियों — जैसे जलवायु संकट, मानसिक तनाव और सामाजिक असहिष्णुता — के समाधान के लिए एक गहन मार्गदर्शक हैं।”

उन्होंने भारत की “मिशन लाइफ” (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पहल को बौद्ध दर्शन की आधुनिक व्याख्या बताया, जो यह सिखाती है कि हमारे छोटे-छोटे जीवन विकल्प भी धरती की भलाई में बड़ा योगदान दे सकते हैं।

इस विशेष अवसर पर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की उपस्थिति ने समारोह को दिव्यता प्रदान की। श्री रिजिजू ने श्रद्धापूर्वक इन अवशेषों की महत्ता को रेखांकित करते हुए विश्वभर के बौद्ध अनुयायियों को भारत की भूमि पर स्थित सारनाथ, कुशीनगर, बोधगया और लुंबिनी जैसे पवित्र स्थलों की यात्रा का निमंत्रण भी दिया।

भारत-वियतनाम रणनीतिक संवाद

श्री रिजिजू ने समारोह के बाद वियतनाम के राष्ट्रपति श्री लुओंग कुओंग से भी शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात में द्विपक्षीय सहयोग, खासकर बौद्ध विरासत, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रणनीतिक साझेदारी को गहराने पर बल दिया गया। राष्ट्रपति कुओंग ने भारत द्वारा भेजे गए पवित्र बुद्ध अवशेषों के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया और इस पहल को दोनों देशों के आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक बताया।

राष्ट्रपति के साथ-साथ, वियतनाम के वरिष्ठ नेताओं और धार्मिक मंत्रियों ने भी काशी के समीप स्थित सारनाथ से आए पवित्र अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

बौद्ध कला की साझा विरासत

श्री रिजिजू ने इस अवसर पर भारतीय मूर्तियों की प्रदर्शनी, डिजिटल जीर्णोद्धार परियोजनाओं, और भारत-वियतनाम बौद्ध कला के 1500 वर्ष पुराने संबंधों पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। यह प्रदर्शनी केवल धर्म नहीं, बल्कि कला, संस्कृति और इतिहास की गहराई में रचे-बसे संबंधों का जीवंत चित्रण थी।

उन्होंने कहा कि “भारत और वियतनाम की सांस्कृतिक साझेदारी केवल अतीत का गौरव नहीं, बल्कि भविष्य की प्रेरणा है। यह मैत्री एक शांतिपूर्ण, समरस और सतत विश्व के निर्माण की आधारशिला है।”