छुट्टा पशुओं से त्रस्त किसान: प्रशासन से न्याय की गुहार, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

छुट्टा पशुओं से त्रस्त किसान: प्रशासन से न्याय की गुहार, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

गोरखपुर, संवाददाता नरसिंह यादव

गगहा विकासखंड के किसानों की दुर्दशा इन दिनों छुट्टा और आवारा पशुओं के कारण और भी बढ़ गई है। जहां सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती है, वहीं जमीनी हकीकत यह है कि किसान अपनी फसल बचाने के लिए दिन-रात खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि गगहा क्षेत्र के किसानों ने थाना समाधान दिवस पर प्रभारी अधिकारी को ज्ञापन देकर छुट्टा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की।

छुट्टा पशुओं ने फसलों को बनाया निशाना

गगहा क्षेत्र के असवनपार, गेरुआखोर, अतायर, मझगावा, अहिरौली, डिहुलपार, सिहाईजपार, हाटाबाजार, गडही, बेलादार और कोठा समेत कई गांवों में छुट्टा पशुओं के झुंड दिन-रात किसानों की मेहनत से उगाई गई फसलों को तबाह कर रहे हैं। अपनी आजीविका बचाने के लिए किसान खेतों में पहरा दे रहे हैं, लेकिन यह समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही।

सिर्फ फसल ही नहीं, हादसों का भी कारण

किसानों ने अपने ज्ञापन में बताया कि छुट्टा पशु न केवल फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि सड़क हादसों का कारण भी बन रहे हैं।
हाल ही की घटना: हाटाबाजार स्थित बड़गो मोड़ पर एक बाइक सवार छुट्टा पशु के सामने आ जाने से गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया, जिससे उसकी जान चली गई।

सरकार की योजना पर उठे सवाल

हालांकि, ब्लॉक मुख्यालयों पर गौशालाओं की व्यवस्था की गई है, जहां इन छुट्टा पशुओं को रखा जा सकता है। लेकिन, स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता और पशुओं को पकड़ने में रुचि न दिखाने की वजह से यह योजना केवल कागजों पर सीमित रह गई है।

क्या कहते हैं अधिकारी?

किसानों की समस्या पर स्थानीय प्रशासन और अधिकारियों ने अलग-अलग बयान दिए:

  • नायब तहसीलदार जीवेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि वह इस समस्या को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाएंगे।
  • थानाध्यक्ष गौरव कुमार वर्मा ने बताया कि किसानों का ज्ञापन मिल चुका है और इसे संलग्न कर आगे भेजा जाएगा।
  • पशु चिकित्साधिकारी जनार्दन यादव ने कहा कि संसाधनों की कमी के कारण समस्या का समाधान करना मुश्किल हो रहा है।
  • खंड विकास अधिकारी एजाज अहमद ने सुझाव दिया कि किसान अगर छुट्टा पशुओं को पकड़कर सूचना दें, तो उन्हें गौशाला भेजा जा सकता है। इसके अलावा ग्राम प्रधान ग्राम निधि का उपयोग कर छुट्टा पशुओं को पकड़वा सकते हैं।

गांवों में हालात बदतर, समाधान अधूरा

हालांकि, अधिकारी समाधान का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन गगहा क्षेत्र के अधिकांश गांवों में किसान फसल बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। ग्राम प्रधान भी इस समस्या को गंभीरता से लेने में रुचि नहीं दिखा रहे।

किसानों की मांग: त्वरित कार्रवाई हो

किसान बालेन्दु ओझा, संजीव कुमार राय, राधेश्याम राय, दीपक तिवारी और राजन सिंह जैसे कई किसान प्रशासन से जल्द कार्रवाई और स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।

समाधान कब? सवाल बरकरार!

छुट्टा पशुओं की समस्या केवल किसानों की नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था पर भी एक गंभीर प्रश्नचिह्न है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इसे गंभीरता से लेकर समाधान करता है।

तो क्या छुट्टा पशुओं से निजात पाने का सपना पूरा होगा या किसान इसी तरह जूझते रहेंगे?