उच्च शक्ति फोटोकैटेलिस्ट: संवहनीय ऊर्जा उत्पादन की नई दिशा
एक नए वैज्ञानिक अध्ययन में प्रकाश के संपर्क में आकर रासायनिक प्रतिक्रिया की दर तेज करने वाले उच्च शक्ति के फोटोकैटेलिस्ट के डिजाइन की नई रूपरेखा प्रस्तुत की गई है जो संवहनीय ऊर्जा उत्पादन से लेकर पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में सहायक सिद्ध हो सकता है।
2डी सामग्रियों में उच्च अवशोषण संलक्षण होते हैं और वे कुशलतापूर्वक प्रकाश को अवशोषित कर सकते हैं तथा अर्धचालक पदार्थों में विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले आवेश वाहकों में इलेक्ट्रॉन-होल जोड़े उत्पन्न कर सकते हैं। यह उन्हें फोटोकैटेलिटिक अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है। उनमें ट्यूनेबल, बैंडगैप तथा पथ लंबाई कम होती है जिससे चार्ज वाहकों के चलन के लिए बड़ा सतह क्षेत्र मिलता है और वे आसानी से विभिन्न उपकरणों के साथ अनुकूलता और मापक्रमणीयता देते हुए संबद्ध किए जा सकते हैं।
हालांकि उनमें मजबूती से जुड़े एक्साइटॉन (इलेक्ट्रॉन और इलेक्ट्रॉन होल की बंधी अवस्था) होते हैं और वे उत्प्रेरक प्रतिक्रियाओं में अप्रभावी होते हैं, क्योंकि इनके लिए मुक्त आवेश वाहकों की जरूरत होती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी) मोहाली के वैज्ञानिकों ने टेलुरो-हैलाइड नाम के 2डी पदार्थ की विषम संरचना में संबद्ध इलेक्ट्रॉन-होल युग्मों (एक्साइटॉन) के मूल और संदीप्त अवस्था की गतिशीलता का सैद्धांतिक अध्ययन कर पाया कि उच्च विद्युत प्रतिरोधकता वाले 2डी पदार्थों (परावैद्युत पदार्थ) की इंजीनियरिंग, उनके एक्साइटॉन बंधन ऊर्जा को नियंत्रित करने की प्रभावकारी नीति है जो उन्हें प्रभावी उत्प्रेरक बना सकती है।
जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री सी में प्रकाशित एक शोधपत्र में वैज्ञानिकों ने बताया कि किस प्रकार चुंबकीय क्षेत्र फोटोजेनरेटेड इलेक्ट्रॉनों और इलेक्ट्रॉन होल पर प्रतिरोधी बल लगाकर आवेश पृथक्करण में तेजी लाता है। साथ ही यह एक्साइटन डायमैगनेटिक शिफ्ट द्वारा एक्साइटॉन बंधन ऊर्जा को भी बढ़ाता है, जो संभावित रूप से आवेश पृथक्करण में अवरोध उत्पन्न कर सकता है।
कुछ सौ यूनिटसेल्स तक विस्तारित अत्यधिक स्थानीकृत एक्साइटन क्लाउड बंधन ऊर्जा को k B T (25 meV-मिली इलेक्ट्रॉन वोल्ट) तक कम कर देता है। इससे स्वतः स्फूर्त एक्साइटन का मुक्त वाहकों में विघटन हो जाता है।
केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के अंतर्गत सीडैक पुणे से सहयोग प्राप्त राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान में परम-स्मृति सुपरकंप्यूटिंग सुविधा के उपयोग से प्रो. अबीर डे सरकार और उनके सहयोगी पीएचडी शोधार्थियों श्री अमल किशोर और सुश्री हर्षिता सेकसरिया ने दिखाया कि GaTeCl/InTeBr vdW हेटरोस्ट्रक्चर जल को सफलतापूर्वक हाइड्रोजन में विभाजित करता है जिससे स्वच्छ ऊर्जा मिलती है। इसी विधि का उपयोग मेथनॉल जैसे सौर ईंधन के उत्पादन में भी किया जा सकता है। इसके फोटोकैटेलिटिक गुण प्रदूषकों को कम करने में भी सहायक सिद्ध हो सकते हैं, जिससे स्वच्छ हवा और जल प्राप्त हो सकता है।
उच्च प्रदर्शन कंप्यूट (एचपीसी) क्लस्टर जहां वैज्ञानिक गणनाएं की गईं