अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस : गांधी के विचारों से विश्व शांति तक

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस : गांधी के विचारों से विश्व शांति तक

हर साल 2 अक्टूबर को पूरी दुनिया अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence) मनाती है। यह वही दिन है जब भारत ने महात्मा गांधी को जन्म दिया था—वह महापुरुष जिन्होंने सत्य और अहिंसा को अपना जीवन-दर्शन बनाया। इस दिन का उद्देश्य है अहिंसा के मूल्य, उसकी सार्वभौमिक प्रासंगिकता और उसकी जीवनदायी शक्ति को पूरी दुनिया तक पहुँचाना।


 कैसे स्थापित हुआ?

2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव A/RES/61/271 पारित कर 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया।
भारत सहित अनेक देशों ने इस पहल का समर्थन किया, क्योंकि दुनिया ने महसूस किया कि गांधी जी की विचारधारा किसी एक देश या संस्कृति तक सीमित नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए आवश्यक है।


 उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस का मूल लक्ष्य है:

  • अहिंसा की विचारधारा का प्रसार

  • शांति, सहिष्णुता और आपसी समझ को बढ़ावा देना

  • शिक्षा और सार्वजनिक जागरूकता के माध्यम से हिंसा के विकल्प के रूप में अहिंसा का मार्ग दिखाना

  • न्याय और समानता की स्थापना में अहिंसा की भूमिका को रेखांकित करना


आज की प्रासंगिकता

आज जब दुनिया आतंकवाद, युद्ध, नस्लवाद, धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, तब गांधी जी का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। अहिंसा केवल हिंसा का अभाव नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के भीतर करुणा, सहिष्णुता और प्रेम का विकास है।


 संदेश

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस हमें याद दिलाता है कि—

  • हथियार कभी स्थायी शांति नहीं ला सकते।

  • सच्ची विजय केवल सत्य और अहिंसा से ही संभव है।

  • अगर दुनिया को बचाना है, तो गांधी के मार्ग पर लौटना ही होगा।


2 अक्टूबर न केवल महात्मा गांधी का जन्मदिन है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए शांति और मानवता का उत्सव है।
अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस हमें सिखाता है कि यदि हम न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और मानवीय समाज चाहते हैं, तो अहिंसा की ज्योति को हर हृदय में जलाना होगा।