गंगा पुनरुद्धार में नया अध्याय: एनएमसीजी की 62वीं बैठक में इको-सिस्टम बहाली पर आधारित परियोजनाओं को मंजूरी

नई दिल्ली, 6 मई 2025 —
गंगा की निर्मलता और पर्यावरणीय समृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 62वीं कार्यकारी समिति की बैठक में इको-सिस्टम बहाली के माध्यम से नदी के सतत पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
बैठक की अध्यक्षता एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव कुमार मित्तल ने की, जिसमें गंगा नदी के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) के संरक्षण, उपचारित जल के पुनः उपयोग और जैव विविधता के संवर्धन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
उल्लेखनीय है कि नमामि गंगे कार्यक्रम को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (यूएनईपी और एफएओ) द्वारा विश्व की शीर्ष 10 पुनरुद्धार फ्लैगशिप पहलों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है — जो भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाता है।
प्रमुख परियोजनाएं जिनकी बैठक में मंजूरी दी गई:
✅ नाथमलपुर भगड़ (वेटलैंड), भोजपुर, बिहार
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लागत: ₹3.51 करोड़
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उद्देश्य: आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकी को संरक्षित करते हुए सतत प्रबंधन प्रणाली का विकास।
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यह पांचवां वेटलैंड संरक्षण प्रोजेक्ट है जो नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू किया गया है।
इससे पहले स्वीकृत वेटलैंड्स:
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कालेवाड़ा झील, मुज़फ्फरनगर, यूपी
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नामिया दाह झील, प्रयागराज, यूपी
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रेवती दाह वेटलैंड, बलिया, यूपी
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उधवा झील (रामसर साइट), साहिबगंज, झारखंड
इन परियोजनाओं के माध्यम से घाघरा, गोमती और सोन जैसे उप-बेसिन क्षेत्रों में जैव विविधता और पारिस्थितिकी सेवाओं का पुनर्निर्माण किया जाएगा।
✅ गंगा बेसिन में जल-संवेदनशील शहरों के विकास हेतु क्षमता निर्माण
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स्थान: आगरा और प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
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वित्तपोषण: ₹34.50 लाख
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उद्देश्य: शहरी योजनाओं के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल के सुरक्षित और टिकाऊ पुनः उपयोग को बढ़ावा देना।
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यह परियोजना राष्ट्रीय फ्रेमवर्क SRtDW के अंतर्गत विकसित की गई है, जो जल संसाधनों के पुनः उपयोग के लिए एक दिशा-निर्देशक सिद्धांत है।
ईसी बैठक में उपस्थित प्रमुख अधिकारीगण:
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श्री महावीर प्रसाद, संयुक्त सचिव (विद्युत मंत्रालय) एवं वित्तीय सलाहकार
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श्री नलिन श्रीवास्तव, उप महानिदेशक, एनएमसीजी
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श्री अनूप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी)
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श्री बृजेन्द्र स्वरूप, कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं)
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श्री एसपी वशिष्ठ, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन)
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श्री भास्कर दासगुप्ता, कार्यकारी निदेशक (वित्त)
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श्री प्रभास कुमार, अतिरिक्त परियोजना निदेशक, एसएमसीजी, उत्तर प्रदेश
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श्री एस चंद्रशेखर, IFS, मुख्य वन संरक्षक, बिहार
एनएमसीजी का यह कदम न केवल गंगा नदी की जीवनदायिनी धारा को पुनः जागृत करने की दिशा में निर्णायक साबित होगा, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरित और टिकाऊ भारत की नींव भी रखेगा।
???? "गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, संस्कृति की आत्मा है। और इसका पुनरुद्धार — भारत के भविष्य की रक्षा है।"