विश्व बैंक लैंड कांफ्रेंस 2025 में भारत की स्वामित्व योजना को वैश्विक सराहना, कंट्री चैंपियन के रूप में पेश हुआ भारत

विश्व बैंक लैंड कांफ्रेंस 2025 में भारत की स्वामित्व योजना को वैश्विक सराहना, कंट्री चैंपियन के रूप में पेश हुआ भारत

नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी | विशेष संवाददाता

भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी अग्रणी भूमिका सिद्ध करते हुए वाशिंगटन डीसी में आयोजित विश्व बैंक लैंड कांफ्रेंस 2025 में स्वामित्व योजना को "कंट्री चैंपियन" के रूप में प्रस्तुत किया। 6 मई को पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने उच्च स्तरीय सत्र में भारत की भूमि स्वामित्व सुधारों, तकनीकी नवाचारों और जनसहभागिता आधारित मॉडल को विश्व के समक्ष विस्तार से प्रस्तुत किया।

श्री भारद्वाज ने भारत के संघीय ढांचे में राज्यों के सहयोग, ड्रोन आधारित सर्वेक्षण, सीओआरएस (Continuously Operating Reference Stations) जैसी उन्नत तकनीकी अवसंरचनाओं की स्थापना, और कानूनी सुधारों की विस्तृत रूपरेखा साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे स्वामित्व योजना के तहत अब तक 68,000 वर्ग किमी से अधिक भूमि का सर्वेक्षण किया गया, जिससे 1.16 ट्रिलियन डॉलर की संपत्तियों का सृजन हुआ है – और लाखों ग्रामीण परिवारों को संपत्ति के प्रमाण, बैंक ऋण और आत्मनिर्भरता के नए अवसर मिले हैं।

अपने संबोधन में उन्होंने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हर्नांडो डी सोटो का हवाला देते हुए बताया कि अनौपचारिक संपत्ति में अपार आर्थिक क्षमता छिपी होती है। उन्होंने मध्य प्रदेश के एक दुग्ध व्यवसायी और राजस्थान की एक महिला की प्रेरणादायक कहानियाँ साझा कीं, जिन्होंने भूमि अधिकार मिलने के बाद अपने जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन किए – जैसे व्यापार विस्तार और बच्चों की उच्च शिक्षा की सुविधा।

7 मई 2025 को होने वाले विशेष सत्र "एक अरब लोगों के लिए भूमि अधिकारों की सुरक्षा" में श्री भारद्वाज स्वामित्व योजना के डिज़ाइन, प्रभाव और मापनीयता पर प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम की शुरुआत विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. क्लॉस डब्ल्यू. डीनिंगर और वरिष्ठ सलाहकार श्री सोमिक वी. लाल के संबोधनों से होगी। इसमें वैश्विक प्रतिनिधि, विशेषकर अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के वरिष्ठ नीति सलाहकार भाग लेंगे।

8 मई 2025 को ग्राम स्तर पर स्थानिक नियोजन पर आधारित भारत का ‘ग्राम मानचित्र’ मंच प्रस्तुत किया जाएगा। पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर यह दिखाएंगे कि कैसे यह जीआईएस आधारित प्लेटफॉर्म पंचायतों को तकनीकी रूप से सक्षम निर्णय लेने में मदद कर रहा है – जिससे आत्मनिर्भर और टिकाऊ गांवों की नींव मजबूत हो रही है।

भारत का यह हस्तक्षेप न केवल एक सहभागी और डेटा-संचालित भूमि शासन प्रणाली का उदाहरण बनकर उभरा है, बल्कि एसडीजी लक्ष्य 1.4.2 (भूमि पर सभी के कानूनी स्वामित्व और नियंत्रण की गारंटी) की दिशा में भी एक ठोस कदम माना जा रहा है।

यह सम्मेलन भारत की उस परिवर्तनकारी सोच का प्रमाण है, जो भूमि अधिकारों को महज़ कागज़ी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि गरिमा, पहचान और आर्थिक सशक्तिकरण का ज़रिया मानता है। विश्व बैंक सम्मेलन में भारत की मौजूदगी ने स्पष्ट कर दिया कि अब भूमि सुधार और शासन के क्षेत्र में भारत एक वैश्विक पथप्रदर्शक बन चुका है।