सात घंटे के लिए दुनिया भूल जाओ…’ — जब कोच अमोल मजूमदार के जोश ने गूंजाया ‘चक दे इंडिया’, और हरमन ब्रिगेड ने लिख दिया इतिहास!

सात घंटे के लिए दुनिया भूल जाओ…’ — जब कोच अमोल मजूमदार के जोश ने गूंजाया ‘चक दे इंडिया’, और हरमन ब्रिगेड ने लिख दिया इतिहास!
  • आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार

कभी-कभी इतिहास सिर्फ़ बल्ले या गेंद से नहीं बनता — वो बनता है जोश, जज़्बे और जुनून से। महिला वर्ल्ड कप फाइनल से पहले टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम में एक आवाज़ गूंजी — वो आवाज़ थी हेड कोच अमोल मजूमदार की। उन्होंने खिलाड़ियों से कहा —

“सात घंटे के लिए बाहरी दुनिया को भूल जाओ, अपनी कहानी खुद लिखो। अब कोई और नहीं, हम खुद इतिहास रचेंगे!”

इन शब्दों ने मानो हर खिलाड़ी के भीतर सोई आग को भड़का दिया। और फिर जो मैदान पर हुआ — वो किसी फिल्म का क्लाइमेक्स नहीं, बल्कि “चक दे इंडिया” का असली संस्करण था।


महिला वर्ल्ड कप का फाइनल... भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका। दबाव था, उम्मीदें थीं, और सामने थी पूरी दुनिया। पर भारतीय टीम के चेहरे पर डर नहीं, दृढ़ता थी।
कोच अमोल मजूमदार का भाषण जैसे हर खिलाड़ी की आत्मा में उतर चुका था। हरमनप्रीत कौर के नेतृत्व में टीम इंडिया ने मैदान में उतरते ही साफ़ कर दिया कि यह मैच सिर्फ़ ट्रॉफी का नहीं, सम्मान का है। हर चौका-छक्का, हर विकेट — एक नई कहानी लिख रहा था। स्मृति मंधाना की चमक, दीप्ति शर्मा की सटीक गेंदबाज़ी, और टीम की एकजुटता ने विरोधियों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। फाइनल खत्म हुआ, और स्कोर बोर्ड पर लिखा था — भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराया। लेकिन असली जीत उस पल हुई थी जब कोच के शब्दों ने ड्रेसिंग रूम में गूंजते हुए सबके दिलों में ‘हम कर सकते हैं’ का भरोसा जगाया था।


कहा जाता है — “मैच मैदान में नहीं, दिमाग में जीता जाता है।” कोच अमोल मजूमदार ने इस बात को साबित कर दिया। उनका भाषण किसी मोटिवेशनल स्पीच से बढ़कर एक राष्ट्रीय भावना बन गया। हरमन ब्रिगेड की जीत सिर्फ़ एक वर्ल्ड कप ट्रॉफी नहीं थी, वो थी उस विश्वास की जीत जो हर भारतीय दिल में धड़कता है।
वो थी उस कोच की जीत, जिसने कहा —

“अब कोई और नहीं, हम खुद इतिहास रचेंगे।”

और हां, इतिहास सचमुच लिखा गया — नीले जर्सी में लिपटी बेटियों ने ‘चक दे इंडिया’ को असलियत में बदल दिया!


वो दृश्य अब यादों में दर्ज है — अमोल मजूमदार के शब्द, हरमनप्रीत की मुस्कान, और भारत के हाथों में चमकती वर्ल्ड कप ट्रॉफी।