संस्कार की जीत: जब हरमनप्रीत ने झुककर दिखाया आदर, और जय शाह ने थाम लिया भारतीयता का मान

संस्कार की जीत: जब हरमनप्रीत ने झुककर दिखाया आदर, और जय शाह ने थाम लिया भारतीयता का मान
  • आर.वी.9 न्यूज़ | संवाददाता, मनोज कुमार

वो पल सिर्फ़ एक खेल का नहीं था... वो भारतीय संस्कृति, संस्कार और विनम्रता का उज्जवल प्रतीक बन गया। जब महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने ट्रॉफी लेने के लिए आगे कदम बढ़ाए, तो मैदान पर ऐसा दृश्य उभरा जिसने पूरे देश का दिल जीत लिया। हरमनप्रीत ने जैसे ही बीसीसीआई सचिव जय शाह के सामने पहुंचीं, सहज भाव से झुककर उनके चरण छू लिए — एक ऐसा दृश्य, जो किसी स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराइयों से निकली सच्ची भावना का प्रमाण था। जय शाह ने तुरंत उन्हें रोकते हुए नम्रता से इशारा किया — “नहीं, यह आपकी जीत है।” और उस पल ने न सिर्फ़ ट्रॉफी को, बल्कि भारत की परंपरा, आदर और संस्कृति को भी अमर कर दिया।


खेल के मैदान पर अक्सर जोश, गर्व और प्रतिस्पर्धा की तस्वीरें दिखती हैं, लेकिन हरमनप्रीत और जय शाह के बीच का यह पल उन तस्वीरों से कहीं बढ़कर था।
ये वह क्षण था जब जीत के जश्न में संस्कार की सुगंध घुल गई। हरमनप्रीत कौर, जिन्होंने अपने बल्ले और नेतृत्व से भारत को कई बार गौरवान्वित किया, ने इस बार किसी चौके या छक्के से नहीं, बल्कि अपनी विनम्रता से करोड़ों दिलों को छू लिया। उन्होंने झुककर जो किया, वो किसी औपचारिकता का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आदर का प्रतीक था। दूसरी ओर, जय शाह का व्यवहार भी उतना ही प्रशंसनीय रहा। उन्होंने तुरंत हरमनप्रीत को झुकने से रोका — मानो कह रहे हों कि सम्मान झुककर नहीं, समानता के भाव से दिया जाता है। उनके चेहरे पर मुस्कान थी, और उस मुस्कान में “नए भारत” की झलक थी — जहां नारी शक्ति का आदर, सशक्तिकरण के साथ जुड़कर और भी सुंदर बन जाता है। इस दृश्य ने दर्शाया कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम की यह जीत सिर्फ़ मैदान पर नहीं, बल्कि संस्कारों और सम्मान की पिच पर भी दर्ज हुई है।


कभी-कभी कोई एक क्षण, एक झुकाव, एक मुस्कान — पूरे राष्ट्र के भावों को शब्दों से परे जाकर व्यक्त कर देता है। हरमनप्रीत कौर का वह झुकना, और जय शाह का उन्हें रोकना — दोनों ही भारतीय संस्कृति के दो सुंदर आयाम बन गए। यह पल हमें याद दिलाता है कि भारत में खेल सिर्फ़ जीत और हार का नहीं, बल्कि संस्कार और सम्मान का भी उत्सव है। आज जब पूरा देश महिला टीम की जीत पर गर्व कर रहा है, उसी के साथ यह दृश्य भी स्मृतियों में अमर हो गया है —
कि भारतीय खिलाड़ी ट्रॉफी से पहले भी कुछ बड़ा जीतते हैं — वे जीतते हैं दिलों को।


वो तस्वीर जिसने पूरे भारत को भावुक कर दिया — मैदान पर झुकी विनम्रता, और थाम ली गई भारतीयता।