गोरखपुर के वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक उपलब्धि: AI आधारित डेटा प्रोसेसिंग डिवाइस का पेटेंट हासिल

गोरखपुर के वैज्ञानिकों की ऐतिहासिक उपलब्धि: AI आधारित डेटा प्रोसेसिंग डिवाइस का पेटेंट हासिल

ब्यूरो प्रमुख- एन. अंसारी, मंडल गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

गोरखपुर – दिग्विजयनाथ पी.जी. कॉलेज के कंप्यूटर विज्ञान एवं बीसीए विभाग के शिक्षकों ने एक नई इबारत लिखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत "AI आधारित डेटा प्रोसेसिंग और विश्लेषण डिवाइस" का पेटेंट प्राप्त किया है। इस उपलब्धि के साथ, कॉलेज ने तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में गोरखपुर का नाम देशभर में रोशन किया है।

इस डिवाइस के विकास के पीछे प्रमुख योगदानकर्ता और कंप्यूटर विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. पवन कुमार पाण्डेय, ने बताया कि यह डिवाइस वर्तमान डिजिटल युग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। बढ़ते डेटा की मात्रा और जटिलता को संभालने में यह डिवाइस क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
यह न केवल डेटा प्रोसेस करता है, बल्कि उसका गहन विश्लेषण करके उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। डिवाइस डेटा को फ़िल्टर, वर्गीकृत और प्रारूपित करने की क्षमता रखता है, जिससे जटिल डेटा संरचनाओं का प्रबंधन बेहद आसान हो जाता है।

डिवाइस की कार्यप्रणाली और सुरक्षा
यह अत्याधुनिक डिवाइस विभिन्न स्रोतों जैसे IoT डिवाइस, क्लाउड सर्विसेज, और ऑन-प्रिमाइस डेटाबेस से डेटा संग्रह करता है। साथ ही, यह इनकंप्लीट और असंगत डेटा को पहचानकर सही प्रारूप में परिवर्तित करता है।
डेटा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए, यह डिवाइस उपयोगकर्ता के डेटा को एन्क्रिप्टेड रूप में प्रोसेस करता है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप से पूरी तरह सुरक्षित रखता है।डिवाइस के पेटेंट को सफल बनाने में देशभर के कई शिक्षाविदों और संस्थानों ने सहयोग किया। इस टीम में डॉ. ललित बंसल (महर्षि मार्कण्डेश्वर यूनिवर्सिटी), हरीश सैनी (कोडक्यूशन्ट स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी), हरिशंकर गुप्ता और अनुराधा सिंह (दिग्विजयनाथ पी.जी. कॉलेज), प्रो मनमोहन शुक्ला (पी.एस.आई.टी, कानपुर), और कई अन्य प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं। कॉलेज के प्राचार्य, प्रो. ओमप्रकाश सिंह, ने इस सफलता को गोरखपुर और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के लिए ऐतिहासिक पल बताते हुए डॉ. पवन और उनकी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, "AI के इस युग में हमारे शिक्षकों द्वारा यह पेटेंट हासिल करना हमारे लिए गर्व का विषय है।"
आई.क्यू.ए.सी. के कोऑर्डिनेटर, प्रो. परीक्षित सिंह, ने कहा कि यह उपलब्धि न केवल महाविद्यालय बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत है।इस अनूठी उपलब्धि ने यह संदेश दिया है कि अगर सही दिशा और प्रयास हों, तो छोटे से शहरों के शिक्षाविद भी वैश्विक तकनीकी जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ सकते हैं।