गीडा पुलिस पर 'हफ्ता वसूली' के गंभीर आरोप: कब मिलेगा पीड़ित परिवार को न्याय?
गोरखपुर: गीडा थाना क्षेत्र में एक होटल संचालक द्वारा पुलिस पर लगाए गए 'हफ्ता वसूली' के गंभीर आरोपों ने पुलिस प्रशासन की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है। साथ ही, वायरल हुए *सीसीटीवी फुटेज और ऑडियो क्लिप्स* ने मामले को और गरमा दिया है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। होटल संचालक अष्टभुजा गिरी और उनकी पत्नी ने पिपरौली चौकी के दीवान *बृजेश सिंह* और थाना प्रभारी पर *छह हजार रुपये की अवैध वसूली* का दबाव बनाने का आरोप लगाया है। महिला ने बताया कि जब उन्होंने यह अवैध मांग ठुकराई, तो पुलिस ने उनके होटल को सील करने की धमकी दी।
कैसे शुरू हुआ मामला?
शिकायतकर्ता ने बताया कि शुरुआत में पुलिसकर्मी ने फोन पर पैसे की मांग की। जब पैसे नहीं दिए गए, तो पुलिस की एक टीम होटल पर पहुंच गई और संचालकों पर दबाव बनाने लगी।
पीड़ित का कहना है कि यह हरकत न केवल शर्मनाक है, बल्कि उनके परिवार को *भय और प्रताड़ना* के माहौल में धकेल दिया है।
सीसीटीवी और ऑडियो वायरल:
मामले की गंभीरता तब बढ़ी, जब होटल संचालक ने *सीसीटीवी फुटेज और ऑडियो क्लिप्स* ट्विटर पर साझा किए। इन फुटेज में कथित तौर पर पुलिसकर्मियों की गतिविधियां और उनकी बातचीत को सुना और देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से वायरल हो गया और लोगों ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की।
पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार:
घटना से आहत पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री *योगी आदित्यनाथ* और गोरखपुर के पुलिस अधीक्षक से *निष्पक्ष जांच और न्याय* की मांग की है।
महिला संचालक ने कहा, हमने न्याय के लिए मुख्यमंत्री जनता दरबार तक की गुहार लगाई है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब हमारी पीड़ा को समझेगा और दोषियों पर कार्रवाई करेगा।
घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए सीओ गीडा प्रशाली गंगवार ने कहा,
"मामले की जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।"
हालांकि, पीड़ित परिवार का कहना है कि अब तक किसी ठोस कदम की पहल नहीं हुई है।
सोशल मीडिया पर नाराजगी:
सोशल मीडिया पर जनता ने इस प्रकरण पर कड़ी नाराजगी जताई है। लोग पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं और इसे पुलिस प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार का उदाहरण बता रहे हैं।
जनता का कहना है कि यदि इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह घटना *पुलिस और जनता के बीच विश्वास* की खाई को और गहरा कर देगी।
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल:
यह मामला न केवल गीडा थाना क्षेत्र की घटना है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की गंभीरता को भी उजागर करता है।
क्या होगा न्याय?
- अब सभी की निगाहें जांच प्रक्रिया पर टिकी हैं।
- पीड़ित परिवार और जनता उम्मीद कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
सवाल अब भी बरकरार:
- - क्या गीडा पुलिस पर लगे गंभीर आरोपों की सच्चाई सामने आएगी?
- - क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह समय की धुंध में खो जाएगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। जनता और पीड़ित परिवार को उम्मीद है कि न्याय की प्रक्रिया तेज और निष्पक्ष होगी।
क्या आप भी मानते हैं कि इस मामले में प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए? अपनी राय व्यक्त करें।