रामकथा: धर्म का दीप जलाकर समाज को आलोकित करने का संदेश
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. संवाददाता- शुभम शर्मा, बड़हलगंज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
बड़हलगंज – "रामायण धर्म के पथ पर चलने की शिक्षा देती है। जीवन में धर्म और अध्यात्म का होना अनिवार्य है, क्योंकि जिसके जीवन में ये नहीं, वह इस धरती पर भार समान है।" यह संदेश अंतरराष्ट्रीय कथावाचक राजनजी महाराज ने नेशनल इंटर कॉलेज के खेल मैदान पर आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं को दिया।
उन्होंने कहा, "श्रीराम कथा कलयुग में कामधेनु के समान है। इसका श्रवण न केवल हमें प्रभु श्रीराम के आदर्श चरित्र को समझने का सौभाग्य देता है, बल्कि हमारे जीवन को मर्यादित और प्रकाशवान बनाने में सहायक होता है।"
राजनजी महाराज ने समाज में बढ़ती विसंगतियों पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि आज के समय में भगवान राम के आदर्शों को आत्मसात किया जाए तो आदर्श समाज की स्थापना संभव है। श्रीराम कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन में आने वाले अंधकार को दूर करने के लिए मर्यादा, सदाचार और धर्म का दीप जलाना जरूरी है।
श्रद्धालुओं को दिया आदर्श समाज का संदेश
उन्होंने कहा कि राम कथा केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्गदर्शन है। इसका श्रवण मनुष्य को हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान कर सकता है। "आज के विसंगतिपूर्ण वातावरण में यदि प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अपनाया जाए तो समाज सुख-शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर होगा," उन्होंने कहा।
कथा के शुभारंभ पर यजमान पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. ए.एन. चौबे, रानी चौबे, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने व्यास पीठ का पूजन किया। आयोजन समिति में कुलदीप राय, राम हर्ष गुप्ता, कैलाश नाथ मिश्र, कमलेश सिंह, अनील पांडेय, और अन्य सदस्यों ने योगदान दिया।
सार: रामकथा से जीवन को बनाएं मर्यादित और प्रकाशवान
राजनजी महाराज ने कहा, "श्रीराम कथा के श्रवण से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इसका श्रवण भावपूर्वक करें, बेड़ा पार हो जाएगा।"
इस नौ दिवसीय कथा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने प्रभु श्रीराम के दिव्य चरित्र से प्रेरणा प्राप्त की। रामकथा का यह अद्भुत आयोजन समाज को धर्म, मर्यादा और आदर्श का संदेश देकर उसे नई दिशा देने का प्रयास है।