जन धन योजना केवल वित्तीय समावेशन के लिए ही नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए भी है, जितेंद्र सिंह
भारत के वित्तीय इतिहास में सर्वाधिक परिवर्तनकारी पहलों में से एक प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) आज अपनी 10वीं वर्षगांठ मना रही है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 2014 में लॉन्च की गई यह योजना वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक मानक बन गई है, जो देश के सर्वाधिक दूरवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों सहित प्रत्येक भारतीय के दरवाजे तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाती है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएएनएस न्यूज के साथ बातचीत में इस योजना की सराहना करते हुए इसे "प्रधान मंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व का आदर्श" बताया। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री श्री मोदी के पदभार संभालने के कुछ महीनों के भीतर इस क्रांतिकारी योजना को लॉन्च करने का निर्णय समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बल देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान पीएमजेडीवाई की सफलता की पुष्टि हुई, जहां इस योजना ने निर्बाध प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की सुविधा प्रदान करके लगभग 80 करोड़ परिवारों में भुखमरी रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में पीएमजेडीवाई वास्तव में एक गेम-चेंजर रही है।” उन्होंने योजना की विशेषताओं के बारे में कहा कि इसमें शून्य बैलेंस खाता, निःशुल्क रूपे कार्ड, रूपे डेबिट कार्ड पर 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और पात्र खाताधारकों को 10 हजार रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान की गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने योजना के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर बल देते हुए कहा, "पीएमजेडीवाई ने हर परिवार में महिलाओं को सशक्त बनाया है। उन्होंने बताया कि जनधन खाताधारकों में से 55.6 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को इसका श्रेय देते हुए इस निर्णायक कदम के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस योजना ने पीएम-किसान किस्तों का समय पर वितरण सुनिश्चित किया तथा लीकेज और चोरी को समाप्त किया, जिससे यह भारत के इतिहास में सबसे बड़े वित्तीय सुधारों में से एक बन गया।" उन्होंने कहा कि इस पहल ने परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को औपचारिक बैंकिंग से जोड़ा है, जिससे भारत वित्तीय समावेशन के वैश्विक मानकों के बराबर आ गया है।
मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि इस योजना ने आम नागरिकों की आकांक्षाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे बैंकिंग दैनिक जीवन का एक परिचित और सुलभ हिस्सा बन गया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "एक समय था जब बैंक कई लोगों के लिए अपरिचित थे, आज कोई भी इससे अछूता नहीं है। पीएमजेडीवाई ने न केवल भारत में बैंकिंग को वैश्विक बनाया है बल्कि इसने आम नागरिक की आकांक्षाओं को भी जगाया है।"
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, "जन धन योजना के एक दशक पूरे होने पर यह आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में भारत की यात्रा में एक मील का पत्थर है।" उन्होंने समावेशी विकास की इस गति को बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की, और कहा कि भविष्य में इस तरह के और भी अनेक सुधार किए जाने हैं।