संविधान दिवस पर पदयात्रा का आयोजन: 75 साल पूरे होने पर माहुल में गूंजे लोकतंत्र और समानता के स्वर
- युवाओं के जोश और संविधान की प्रस्तावना ने माहुल की सड़कों को किया गुलजार; गोष्ठी, प्रतियोगिताओं और माल्यार्पण से बिखरा संविधान दिवस का उल्लास
आजमगढ़ के माहुल नगर पंचायत में संविधान के 75 गौरवशाली वर्षों के उपलक्ष्य में संविधान दिवस पदयात्रा का आयोजन बड़े उत्साह और प्रेरणा के साथ संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम नेहरू युवा केंद्र, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित किया गया, जिसमें संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने और लोकतंत्र के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।
पदयात्रा: संविधान के प्रति सम्मान और जागरूकता का अनूठा प्रयास
कार्यक्रम की शुरुआत प्राथमिक विद्यालय माहुल के प्रांगण से हुई, जहां युवाओं और गणमान्य व्यक्तियों ने पदयात्रा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। पदयात्रा का उद्देश्य संविधान की उद्देशिका और मूल अधिकारों की भावना को जनमानस तक पहुंचाना था। यह यात्रा न केवल लोकतंत्र का संदेश लेकर चली, बल्कि समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे की भावना को भी जन-जन में रोशन किया।
गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस कार्यक्रम में नगर पंचायत माहुल के कार्यकारी अधिकारी अवधेश मिश्रा, माहुल पुलिस चौकी के चौकी इंचार्ज सुधी सिंह, और श्री राकेश रंजन सहित कई प्रमुख हस्तियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। युवाओं ने अपनी ऊर्जा और जोश से पदयात्रा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।
गोष्ठी, प्रतियोगिताएं और उद्देशिका का पाठन
कार्यक्रम के अंतर्गत कई रचनात्मक गतिविधियां आयोजित की गईं:
- विचार गोष्ठी, जिसमें संविधान की उद्देशिका के महत्व और इसके आदर्शों पर चर्चा हुई।
- पोस्टर मेकिंग और भाषण प्रतियोगिता, जिसमें युवाओं ने संविधान और लोकतंत्र पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
- बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण, जिसने कार्यक्रम को एक प्रेरणादायक शुरुआत दी।
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण
- संविधान की उद्देशिका का सामूहिक पाठन, जिसने उपस्थित लोगों में संविधान के प्रति सम्मान और समर्पण की भावना को गहराया।
- माय भारत स्वयंसेवक बृजेश यादव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए संविधान के आदर्शों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी
इस आयोजन में प्रधानाध्यापक संजू देवी, प्रमिला, माधुरी, समरीन, रिजवी, अमृता, और अरुण यादव सहित कई महिलाओं और युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनकी भागीदारी ने इस आयोजन को और अधिक जीवंत बना दिया।
संविधान दिवस की गूंज, जो हमेशा बनी रहेगी
संविधान के 75 वर्ष पूरे होने का यह अवसर न केवल संविधान के प्रति जागरूकता फैलाने का था, बल्कि यह युवाओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों की भी याद दिलाने का एक सशक्त प्रयास था।
इस तरह के आयोजनों से यह संदेश स्पष्ट होता है कि संविधान न केवल हमारे देश का मार्गदर्शक है, बल्कि यह हर नागरिक के जीवन में समानता, स्वतंत्रता और न्याय का आदर्श भी स्थापित करता है।