एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी परियोजना के चौथे और पांचवें जहाज मालपे और मुलकी का एक साथ जलावतरण किया गया

एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी परियोजना के चौथे और पांचवें जहाज मालपे और मुलकी का एक साथ जलावतरण किया गया

भारतीय नौसेना के लिए मैसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित आठ एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) (सीएसएल) परियोजना के चौथे और पांचवें जहाजमालपे और मुलकी का 09 सितंबर, 24 को सीएसएलकोच्चि में जलावतरण किया गया। समुद्री परंपराओं को ध्यान में रखते हुएदोनों जहाजों को दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वीएडीएम वी श्रीनिवास की उपस्थिति में श्रीमती विजया श्रीनिवास द्वारा जलावतरण किया गया।

माहे श्रेणी के एएसडब्लू शैलो वाटर क्राफ्ट्स का नाम भारत के तट पर सामरिक महत्व के बंदरगाहों के नाम पर रखा गया है। ये पूर्ववर्ती माइनस्वीपर्स की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगेजिनके नाम पर ही इनका नाम रखा गया था।

रक्षा मंत्रालय और सीएसएल के बीच 30 अप्रैल, 2019 को आठ एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।

माहे श्रेणी के जहाज़ों को स्वदेशी रूप से विकसितअत्याधुनिक अंडरवाटर सेंसर से सुसज्जित किया जाएगा। माहे श्रेणी के जहाज स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक पानी के नीचे सेंसर से लैस होंगे और इसे तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ-साथ कम तीव्रता के समुद्री संचालन (एलआईएमओ) तथा खदान बिछाने के काम के लिए तैयार किया गया है।

एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाज 1800 समुद्री मील तक की सहनशक्ति के साथ 25 समुद्री मील की अधिकतम गति प्राप्त कर सकते हैं। एसडब्ल्यूसी जहाज़ 1800 नॉटिकल मील तक की स्थिरता के साथ 25 नॉट की अधिकतम गति प्राप्त कर सकते हैं।

इन जहाजों का एक साथ जलावतरण 'आत्मनिर्भर भारतकी दिशा में स्वदेशी जहाज निर्माण में भारत की प्रगति को दर्शाता है । एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी जहाजों में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री होगीजिससे यह सुनिश्चित होगा कि बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा किया जाएगा और जिससे देश के भीतर रोजगार और क्षमता वृद्धि पैदा होगी।