तांगशान तबाही: धरती की कराह में दफ़्न हो गई ज़िंदगियाँ

1976 का वो भयानक सवेरा जब चीन थम गया… 2.42 लाख लोगों की गई जान
28 जुलाई 1976 — यह तारीख इतिहास में एक भयावह त्रासदी के रूप में दर्ज है, जब चीन के तांगशान शहर में आई भीषण भूकंप की मार ने मानवीय अस्तित्व को झकझोर दिया।
मात्र 23 सेकंड में धरती ने ऐसी करवट ली कि लगभग 2 लाख 42 हजार से अधिक लोग काल के गाल में समा गए।
इसे 20वीं सदी की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में गिना जाता है।
सुबह के 3:42 बजे, जब दुनिया नींद में थी, तांगशान की धरती ने भयावह कंपन से आसमान को चीर दिया। इमारतें कागज़ की तरह गिर गईं, रेलवे लाइनें मरोड़ गईं, और पूरा शहर एक मलबे के ढेर में तब्दील हो गया।
इस भूकंप की तीव्रता 7.5 रिक्टर स्केल मापी गई, पर इसका प्रभाव केवल संख्याओं तक सीमित नहीं रहा — यह लाखों परिवारों की कहानियों, सपनों और भविष्य को लील गया।
प्रशासनिक चुप्पी और सूचना पर लगी रोक ने शुरुआती समय में राहत कार्यों को भी बाधित किया। फिर भी चीन की जिजीविषा ने मलबे से जीवन खोजने की कोशिशें कीं। इस त्रासदी ने देश की आपदा प्रबंधन रणनीतियों को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।
आज जब भी तांगशान की बात होती है, यह केवल एक शहर नहीं बल्कि साहस, पीड़ा और पुनर्निर्माण की मिसाल बन जाता है।
श्रद्धांजलि उन अनगिनत ज़िंदगियों को, जिन्होंने उस भोर में आंखें तो खोलीं, पर फिर कभी बंद नहीं कर पाए।
पढ़ें, जानें और साझा करें — ताकि इतिहास की कराह फिर कभी न दोहराई जाए।