रकहट पुल बना सुसाइड प्वाइंट! 11 दिन में दूसरी घटना, युवती ने लगाई राप्ती में छलांग, तलाश जारी...

रकहट पुल बना सुसाइड प्वाइंट! 11 दिन में दूसरी घटना, युवती ने लगाई राप्ती में छलांग, तलाश जारी...

क्राइम रिपोर्टर | गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

गोरखपुर और देवरिया जनपद को जोड़ने वाला रकहट एकौना पुल इन दिनों मौत का मंच बनता जा रहा है। राप्ती नदी पर बना यह पुल अब लगातार आत्महत्या की घटनाओं के कारण सुसाइड प्वाइंट के रूप में बदनाम होता जा रहा है।

शुक्रवार की दोपहर करीब 3 बजे, ऐकौना की दिशा से आई 18 वर्षीय युवती प्रियांशू यादव ने पुल पर पहुँचते ही अपने चप्पल उतारे और पक्के पुल से छलांग लगा दी। यह दृश्य देखकर पास में ही पेड़ के नीचे आराम कर रहे रकहट निवासी कुछ ग्रामीण स्तब्ध रह गए। उन्होंने शोर मचाया, लेकिन जब तक कुछ किया जा सके, युवती नदी की गहराइयों में समा चुकी थी।

देखते ही देखते पुल पर भीड़ जुट गई। इसी बीच, एक व्यक्ति साइकिल से हांफता हुआ घटनास्थल पर पहुँचा और "वह मेरी बेटी है" कहते हुए फूट-फूटकर रोने लगा। यह व्यक्ति था प्रियांशू का पिता – शिव प्रसाद यादव, निवासी ऐकौना।

बिलखते हुए उन्होंने बताया कि,

"प्रियांशू गांव के एक स्कूल में पढ़ाती थी। कल रात वह किसी से मोबाइल पर देर तक बात कर रही थी, तो मैंने उसे डांटा था। शायद इसी बात से नाराज होकर उसने यह कदम उठा लिया... उसकी मां भी कुछ वर्ष पूर्व तेजाब पीकर आत्महत्या कर चुकी है..."

यह दर्दनाक खुलासा सुनकर उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं।

घटना की जानकारी ग्रामीणों ने 112 डायल सेवा पर दी। एकौना की रहने वाली युवती होने के कारण एकौना पुलिस तत्काल मौके पर पहुँची और एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) को सूचना दी गई। देर शाम तक रेस्क्यू टीम घटनास्थल पर पहुंच गई और राप्ती नदी में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन युवती का कोई सुराग नहीं मिल सका।

महज 11 दिन पहले भी हुई थी ऐसी ही घटना:
इसी पुल से 27 मई को गगहा थाना क्षेत्र के सेमरवासा निवासी जितेंद्र निषाद ने भी छलांग लगाकर अपनी जान दे दी थी।

लगातार हो रही इन घटनाओं से क्षेत्रीय लोगों, विशेषकर अभिभावकों में भारी चिंता व भय का माहौल बना हुआ है।

अब सवाल यह है:

  • क्या प्रशासन इस पुल की निगरानी व्यवस्था मजबूत करेगा?

  • क्या इस दर्दनाक पुल को आत्महत्या रोकने के लिए ‘संवेदनशील ज़ोन’ घोषित किया जाएगा?

  • मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संवाद जैसे गंभीर विषयों पर हम कब जागरूक होंगे?

यह सिर्फ एक पुल नहीं, एक सवाल बनता जा रहा है – हम कब समझेंगे कि मौन दुख चीखता है?

यदि आप या आपके जानने वाला कोई व्यक्ति मानसिक तनाव या आत्महत्या जैसे विचारों से जूझ रहा है, तो कृपया तुरंत सहायता लें। किसी विशेषज्ञ से बात करें, परिवार और मित्रों से संवाद करें।
आपकी एक मुस्कान, किसी के जीवन की वापसी बन सकती है।