कैंसर मुक्‍त भारत: रोकथाम, उपचार और नवाचार की दिशा में एक कदम

कैंसर मुक्‍त भारत: रोकथाम, उपचार और नवाचार की दिशा में एक कदम

"कैंसर की देखभाल मेंइलाज के लिए सहयोग आवश्यक है। कैंसर के बोझ को कम करने के लिए रोकथामजांचपहचान और उपचार को शामिल करने वाला एक एकीकृत दृष्टिकोण आवश्यक है।"

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

परिचय

कैंसर दुनिया भर में मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। 2022 मेंलगभग 20 मिलियन नए कैंसर के मामले सामने आए और वैश्विक स्तर पर 9.7 मिलियन लोगों की इस बीमारी के कारण मृत्‍यु हो हुई। भारत में भी कैंसर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ हैजिसके मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है। भारत में हर एक लाख लोगों में से लगभग 100 लोगों को कैंसर है, इसकी पहचान हो पाती है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक भारत में 2023 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14 लाख से अधिक थी।

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आईसीएमआर के तहत राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) 1982 से कैंसर के मामलोंइसके कारण रोगियों पर पड़ने वाले बोझ और प्रवृत्तियों पर नज़र रख रहा है  और ये डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैजिससे साक्ष्य-आधारित नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है। राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम और अनुसंधान संस्थान (एनआईसीपीआर) एनपीसीडीसीएस के तहत अनुसंधान और स्क्रीनिंग दिशानिर्देशों के लिए एक नोडल एजेंसी है।

केन्‍द्र सरकार ने देश भर में रोकथामशीघ्र पहचानउपचार और रोगी देखभाल को बढ़ाने के लिए मजबूत नीतियांरणनीतिक हस्तक्षेप और वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की हैं । यह लेख भारत में कैंसर की व्यापकतासरकारी प्रयासोंवित्तीय सहायताअनुसंधान और भारत में कैंसर देखभाल को मजबूत करने के लिए बजटीय प्रतिबद्धताओं का विवरण देता है।

केंद्रीय बजट 2025-26: कैंसर देखभाल को प्राथमिकता

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को कुल 99,858.56 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैंजिनमें से 95,957.87 करोड़ रुपए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए तथा 3,900.69 करोड़ रुपए स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए निर्धारित किए गए हैं 

केंद्रीय बजट 2025-26 कई प्रमुख पहलों के जरिए कैंसर देखभाल को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है:

  • डे केयर कैंसर सेंटर : सरकार की योजना अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर सेंटर स्थापित करने की है जिसके तहत 2025-26 तक 200 सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य है 
  • सीमा शुल्क छूट :
  • उपचार लागत को कम करने के लिएकैंसरदुर्लभ बीमारियों और दीर्घकालिक बीमारियों के इलाज के लिए 36 जीवनरक्षक दवाओं और औषधियों को मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) से पूरी तरह छूट दी गई है ।
  • छह जीवनरक्षक दवाओं पर प्रतिशत की रियायती सीमा शुल्क लगेगा
  • इसके अलावादवा कंपनियों द्वारा संचालित रोगी सहायता कार्यक्रमों के तहत निर्दिष्ट दवाओं और औषधियों को बीसीडी से पूरी तरह छूट दी गई है।

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समग्र कैंसर नियंत्रण: एक नीति-संचालित दृष्टिकोण

1. कैंसरमधुमेहहृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) - एनपीसीडीसीएस राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत एक प्रमुख पहल है, जो कैंसर सहित गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) को नियंत्रित करने पर केंद्रित है। कैंसर के तीन सबसे आम प्रकार (ओरल कैंसरस्तन कैंसर और सरवाईकल कैंसर) एनपीसीडीसीएस का एक अभिन्न अंग हैं। इसका लक्ष्‍य कैंसर नियंत्रण प्रयासों को मजबूत करना , स्वास्थ्य संवर्धन , प्रारंभिक पहचान और कैंसर संबंधी उपचार के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करना है।

घटक

  • कैंसर जांच: सामुदायिक स्तर पर ओरलस्तन और सरवाईकल कैंसर के लिए।
  • शीघ्र पहचान एवं जागरूकता: स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं डिजिटल प्लेटफॉर्मों के जरिए से।
  • बुनियादी ढांचे को मजबूत करना: तृतीयक कैंसर केंद्रों (टीसीसी) और राज्य कैंसर संस्थानों (एससीआई) की स्थापना ।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार ने स्‍थापित किए हैं :

  • 770 जिला एनसीडी क्लीनिक
  • 233 कार्डियक केयर यूनिट
  • 372 जिला डे केयर सेंटर
  • 6,410 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लीनिक

ये सुविधाएं सुलभ एवं किफायती कैंसर जांच उपलब्ध कराती हैंविशेष रूप से ओरलस्तन और सरवाईकल कैंसर के लिए।

2. कैंसर योजना संबंधी तृतीयक देखभाल को मजबूत करना

यह विशेष कैंसर देखभाल सुविधाओं को बेहतर बनाता है और इसका लक्ष्‍य कैंसर उपचार को विकेन्द्रित करना है, जो राज्यों में सेवाओं को अधिक सुलभ बनाती है।

तृतीयक कैंसर देखभाल नेटवर्क को मजबूत बनाना

  • भारत ने 19 राज्य कैंसर संस्थानों (एससीआई) की स्थापना के साथ अपने कैंसर उपचार इकोसिस्‍टम का काफी विस्तार किया है।
  • 20 तृतीयक देखभाल कैंसर केंद्र (टीसीसीसी)

हरियाणा के झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआई) और कोलकाता में चित्तरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (सीएनसीआई) का दूसरा परिसर अत्याधुनिक कैंसर उपचार और अनुसंधान के अवसर प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

3. आयुष्मान भारत योजना - 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत एक ऐतिहासिक स्वास्थ्य पहल है, जिसे विशेष रूप से ग्रामीण और कमज़ोर आबादी के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह योजना 30 दिनों के भीतर कैंसर रोगियों का समय पर उपचार सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस योजना में आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों के लिए कैंसर के इलाज हेतु कीमोथेरेपीरेडियोथेरेपी और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी शामिल है। 2024 तक90 प्रतिशत से अधिक पंजीकृत कैंसर रोगियों ने इस योजना के तहत उपचार शुरू कर दिया हैजिससे जेब से होने वाले खर्च में कमी आई है और लाखों लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

4. स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि (एचएमसीपीएफ): राष्ट्रीय आरोग्य निधि (आरएएन) के तहत स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि गरीबी रेखा से नीचे के रोगियों को कैंसर के इलाज के लिए पांच लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है । इस योजना के तहत स्वीकार्य अधिकतम वित्तीय सहायता 15 लाख रुपये होगी। इसमें 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्रों (आरसीसी) में उपचार शामिल है , जिसमें प्रत्येक केंद्र को 50 लाख रुपये का रिवॉल्विंग फंड आवंटित किया गया है। 2009 में स्थापित , यह योजना वंचित रोगियों के लिए सुलभ और सस्ती कैंसर बीमारी संबंधी देखभाल सुनिश्चित करती है।

5. राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (एनसीजी): राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (एनसीजीकी स्थापना 2012 में पूरे भारत में उच्च-गुणवत्तामानकीकृत कैंसर देखभाल सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। आठ वर्ष बादयह 287 सदस्यों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा कैंसर नेटवर्क बन गया है, जिसमें कैंसर केंद्रशोध संस्थानरोगी वकालत समूहधर्मार्थ संगठन और पेशेवर समाज शामिल हैं। (एनसीजीके सदस्य संगठनों के बीचनेटवर्क सालाना 750,000 से अधिक नए कैंसर रोगियों का इलाज करता हैजो भारत के सभी कैंसर रोगियों का 60 प्र‍तिशत से अधिक है। (एनसीजीआयुष्मान भारत– पीएमजेएवाई के साथ मिलकर काम करता है, ताकि किफायतीसाक्ष्य-आधारित कैंसर उपचार प्रदान किया जा सके और इस योजना के तहत लागत को सुव्यवस्थित किया जा सके। इसने इलेक्ट्रॉनिक रोगी स्वास्थ्य रिकॉर्ड के विकास में योगदान देकर राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएमको आकार देने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कैंसर अनुसंधान और उपचार को आगे बढ़ाना

1. भारत की पहली स्वदेशी सीएआर-टी सेल थेरेपी: नेक्ससीएआर19 - कैंसर उपचार में एक बड़ी सफलता

अप्रैल 2024 मेंभारत ने नेक्सकार19 के शुरू होने के साथ कैंसर देखभाल में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की , जो देश की पहली स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर-टी सेल थेरेपी है , जिसे आईआईटी बॉम्बेटाटा मेमोरियल सेंटर और इम्यूनोएसीटी के बीच एक अभूतपूर्व सहयोग के माध्यम से बनाया गया है। यह अत्याधुनिक नवाचार रक्त कैंसर के लिए एक अत्यधिक प्रभावीअगली पीढ़ी का उपचार प्रदान करता हैजो हजारों रोगियों के लिए आशा की एक किरण लेकर आया है। किफायती और सुलभता से उपलब्‍ध होने के लिए डिज़ाइन किया गया नेक्ससीएआर19 ऑन्कोलॉजी देखभाल में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैजो महंगी आयातित चिकित्सा पर निर्भरता को कम करता है और उन्नत कैंसर उपचार और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में भारत की स्थिति को मजबूत करता है।

2. क्वाड कैंसर मूनशॉट पहल

सितंबर 2024 मेंभारत ने अमेरिकाऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भागीदारी में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने के लिए क्वाड कैंसर मूनशॉट पहल शुरू की थी। इस पहल का लक्ष्‍य जांच और टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ाना , अत्याधुनिक शोध को आगे बढ़ाना और प्रारंभिक पहचानप्रभावी उपचार और बेहतर जीवित रहने की दर सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग को मजबूत करना है ।

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3. एसीटीआरईसी का विस्तार

जनवरी 2025 में , टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) की एक प्रमुख शाखा एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंटरिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एसीटीआरईसीने कैंसर अनुसंधानउपचार और रोगी देखभाल में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए व्‍यापक रूप से काम शुरू किया। इस पहल का लक्ष्‍य नैदानिक ​​सफलताओं में तेज़ी लाना , ऑन्कोलॉजी देखभाल को बढ़ाना और अत्याधुनिक चिकित्सीय सुविधाएं स्थापित करना है , जिससे उन्नत कैंसर उपचार और नवाचार में भारत के नेतृत्व को और मज़बूती मिलेगी।

जागरूकता पैदा करना

केंद्र सरकार कैंसर की रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई तरीकों से काम कर रही है:

  1. सामुदायिक जागरूकता - आयुष्मान आरोग्य मंदिर के जरिए व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहतकल्याण गतिविधियों को बढ़ावा देने और सामुदायिक स्तर पर लक्षित संचार के माध्यम से कैंसर के निवारक पहलू को मजबूत किया जाता है।
  2. मीडिया अभियान - जन जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रिंटइलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता है। राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस और विश्व कैंसर दिवस के माध्यम से स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दिया जाता है ।
  3. सरकारी सहायता - राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग कार्यक्रम (एनपी-एनसीडी) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत जागरूकता कार्यक्रमों के लिए राज्यों को धन उपलब्ध कराता है।
  4. स्वस्थ भोजन को बढ़ावा - भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा चलाया गया ईट राइट इंडिया अभियान पौष्टिक भोजन विकल्पों को प्रोत्साहित करता है।
  5. फिटनेस पहलें - युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा फिट इंडिया मूवमेंट शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देता हैजबकि आयुष मंत्रालय बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग कार्यक्रम आयोजित करता है।

इन प्रयासों का उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनानेकैंसर की रोकथाम करने तथा समय पर चिकित्सा देखभाल प्राप्त करने के बारे में शिक्षित करना है।

निष्कर्ष

देश ने नीतिगत सुधारोंविस्तारित स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे और वित्तीय सहायता योजनाओं के माध्यम से कैंसर की रोकथामउपचार और अनुसंधान में महत्वपूर्ण प्रगति की है। केंद्रीय बजट 2025-26 में डे केयर कैंसर सेंटर और जीवन रक्षक दवाओं पर सीमा शुल्क छूट जैसी पहलों के साथ कैंसर बीमारी संबंधी देखभाल को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। एनपीसीडीसीएसपीएमजेएवाई और एचएमसीपीएफ जैसे कार्यक्रम किफायती उपचार और प्रारंभिक पहचान सुनिश्चित करते हैंजबकि नेक्ससीएआर19 और नेशनल कैंसर ग्रिड जैसी शोध पहलें ऑन्कोलॉजी देखभाल को आगे बढ़ा रही हैं। प्रगति के बावजूदसमान पहुंचप्रारंभिक पहचान और बढ़ते हुए कैंसर मामलों में चुनौतियां बनी हुई हैं। जागरूकताजीवनशैली में हस्तक्षेप और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों में अधिक निवेश करना बहुत महत्वपूर्ण है। एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण और निरंतर सरकारी प्रयासों के साथभारत का लक्ष्य एक व्यापक और समावेशी कैंसर देखभाल प्रणाली का निर्माण करना हैजिससे देश भर में रोगी परिणामों में सुधार हो।

संदर्भ