आईसीजीईबी नई दिल्ली में बायोई3 नीति की पहली वर्षगांठ का भव्य आयोजन, जैव अर्थव्यवस्था के भविष्य पर मंथन

नई दिल्ली, 6 सितम्बर 2025।
अंतर्राष्ट्रीय आनुवंशिक अभियांत्रिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (ICGEB) ने आज भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पहल बायोई3 नीति (बायोटेक्नोलॉजी-इकोनॉमी, एनवायरनमेंट और एम्प्लॉयमेंट) की पहली वर्षगांठ पर “बायोई3@1” का आयोजन किया। इस अवसर पर कृषि और स्वच्छ ऊर्जा में नवाचारों को प्रयोगशाला से बाजार तक पहुँचाने के लिए अकादमिक जगत और उद्योग जगत के दिग्गजों को एक साझा मंच मिला।
विषय और साझेदार संस्थान
कार्यक्रम का विषय था—“जलवायु अनुकूल कृषि और स्वच्छ ऊर्जा के लिए संस्थान-उद्योग संपर्क”।
इसमें राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NABI), मोहाली; राष्ट्रीय पादप जीनोम शोध संस्थान (NIPGR), नई दिल्ली; राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (NIAB), हैदराबाद; कीटनाशक निर्माण प्रौद्योगिकी संस्थान (IPFT), गुरुग्राम; और क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB), फरीदाबाद जैसे अग्रणी संस्थानों ने सहयोग किया।
उद्योग जगत की भागीदारी
बलराम चिन्नी मिल्स, प्रसाद सीड्स प्राइवेट लिमिटेड, नुजिवीडू सीड्स, बायोसीड्स, मैनकाइंड एग्रो और इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों ने सक्रिय भागीदारी की। इससे वैज्ञानिक शोध और औद्योगिक अनुप्रयोग के बीच बढ़ते सहयोग की झलक मिली, जो भारत की बायो-इकोनॉमी को नई गति देने का संकेत है।
तकनीकी नवाचार और पैनल चर्चा
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पहला सत्र: सहयोगी संस्थानों के निदेशकों ने जलवायु-अनुकूल कृषि और स्वच्छ ऊर्जा पर अपनी तकनीकों और शोध की जानकारी साझा की।
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दूसरा सत्र: ICGEB निदेशक डॉ. रमेश वी. सोंती की अध्यक्षता में हुई पैनल चर्चा में उद्योग प्रतिनिधियों ने बायोई3 ढांचे के तहत अकादमिक-उद्योग साझेदारी को मज़बूत बनाने और लैब से मार्केट तक नवाचार पहुँचाने पर विचार रखे।
प्रदर्शनी और भविष्य दृष्टि
शोध संस्थानों द्वारा आयोजित तकनीकी प्रदर्शनी में कृषि जैव प्रौद्योगिकी, सतत ऊर्जा, पशु स्वास्थ्य और कीटनाशक निर्माण के क्षेत्र की उपलब्धियाँ प्रदर्शित की गईं। इससे उद्योग हितधारकों को उभरती तकनीकों की व्यावहारिक क्षमता और व्यावसायिक संभावनाओं का अनुभव मिला।
नीति का महत्व
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024 में बायोई3 नीति को स्वीकृति दी थी। इस नीति का उद्देश्य भारत की जैव-अर्थव्यवस्था को अगले स्तर पर ले जाना, नवाचार और स्थिरता को प्रोत्साहित करना और 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को साकार करना है।
यह पहल पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में जैव प्रौद्योगिकी की भागीदारी को बढ़ावा देकर भारत के विकास के लिए परिवर्तनकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।