1915: गांधी की भारत वापसी और स्वतंत्रता आंदोलन का निर्णायक आरंभ

1915: गांधी की भारत वापसी और स्वतंत्रता आंदोलन का निर्णायक आरंभ

इतिहास के पन्नों में कुछ ऐसे क्षण दर्ज हैं जो युगों तक याद किए जाते हैं। 9 जनवरी 1915 का ऐसा ही एक दिन है, जब मोहनदास करमचंद गांधी, जो बाद में “महात्मा गांधी” के रूप में विश्वप्रसिद्ध हुए, दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। यह वापसी न केवल उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ थी, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक निर्णायक शुरुआत भी।

दक्षिण अफ्रीका में गांधी का संघर्ष: सत्याग्रह की नींव

दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी ने 21 वर्षों तक सामाजिक और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। वहाँ पर भारतीय समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव ने उन्हें अहिंसा और सत्याग्रह के विचारों को विकसित करने की प्रेरणा दी। उनका “सत्याग्रह” आंदोलन अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध का एक अद्वितीय और प्रभावी माध्यम बन गया।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव के खिलाफ कई सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने भारतीयों के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े प्रयास किए और एक ऐसा नेतृत्व प्रस्तुत किया जिसने उन्हें न केवल भारतीय समुदाय का नायक बनाया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पहचान दिलाई।

भारत वापसी: नई उम्मीदों का आगमन

9 जनवरी 1915 को, गांधी जी मुंबई के अपोलो बंदर (अब गेटवे ऑफ इंडिया) पर पहुंचे। उनके स्वागत के लिए जनता का हुजूम उमड़ पड़ा। लोग उनकी दक्षिण अफ्रीका में उपलब्धियों और उनके निःस्वार्थ नेतृत्व से परिचित थे। गांधी जी के आगमन ने भारत में नई उम्मीदों का संचार किया।

स्वतंत्रता संग्राम में गांधी का प्रवेश

भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने देश की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने महसूस किया कि भारत केवल ब्रिटिश हुकूमत के कारण ही नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय, जाति भेद, और असमानता के कारण भी पिछड़ा हुआ है। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा देने का संकल्प लिया, जिसमें सभी वर्गों और समुदायों को जोड़ा जा सके।

1917 में चंपारण सत्याग्रह और 1918 में खेड़ा सत्याग्रह ने गांधी जी को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र में ला खड़ा किया। इन आंदोलनों ने न केवल ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी, बल्कि जनता को अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।

गांधी का नेतृत्व: एक क्रांति का आरंभ

गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को अहिंसा और सत्य के मूल्यों पर आधारित किया। उनके नेतृत्व ने आंदोलन को एक व्यापक जनांदोलन में बदल दिया। उन्होंने भारतीय जनता को यह सिखाया कि स्वतंत्रता केवल ब्रिटिश शासन से मुक्ति नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, समानता और सामाजिक न्याय की स्थापना भी है।

विश्व के लिए संदेश

गांधी जी की भारत वापसी केवल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन तक सीमित नहीं थी। उनके विचार और नेतृत्व ने पूरी दुनिया को अहिंसा और सत्याग्रह के महत्व को समझाया। उनके सिद्धांत ने नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे कई विश्व नेताओं को प्रेरित किया।

9 जनवरी: प्रवासी भारतीय दिवस

गांधी जी की भारत वापसी की इस ऐतिहासिक घटना को स्मरण करते हुए 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस प्रवासी भारतीयों के योगदान और उनकी जड़ों से जुड़ाव का प्रतीक है। 1915 में गांधी जी की भारत वापसी एक ऐसी घटना थी जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा और ऊर्जा दी। उनका जीवन और कार्य हमें सिखाते हैं कि सच्चाई और अहिंसा के बल पर सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। उनका नेतृत्व और उनकी शिक्षाएँ न केवल भारत, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा हैं।

गांधी जी की वापसी का यह क्षण हमें यह याद दिलाता है कि बदलाव की शुरुआत कभी भी छोटे कदमों से हो सकती है, लेकिन यदि वह सच्चाई और न्याय पर आधारित हो, तो वह पूरी दुनिया को बदलने की क्षमता रखता है।