अनोखा किस्सा: घूमने निकलीं तीन बच्चियां और गढ़ दी अपहरण की झूठी कहानी!

गोरखपुर: सहजनवां थाना क्षेत्र में सोमवार को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने हर किसी को चौंका दिया। तीन मासूम बच्चियों ने अपहरण की झूठी कहानी रच दी, और इस झूठ के पीछे की वजह ने सभी को हैरान कर दिया।
घूमने का शौक और झूठ की कहानी
मांट गांव की साक्षी (08) और प्रियांशी (08) जो आदर्श पब्लिक स्कूल में कक्षा चार में पढ़ती हैं और जालेपार की आराध्या (05) जो एलकेजी में पढ़ती है, सोमवार को स्कूल से बाहर निकलने के बाद घूमने के इरादे से घर से सात किलोमीटर दूर पहुंच गईं।
बच्चियों ने पहले से चाउमीन और मोमोज खाने का प्लान बनाया था और गोरखपुर शहर घूमने का भी विचार किया। लेकिन ज्यादा चलने से वे थक गईं और रास्ता भी भटक गईं।
अपहरण की कहानी कैसे बनी?
थकी और डरी हुई बच्चियों ने एक आइसक्रीम वाले को देखा और उससे मोबाइल लेकर अपने परिजनों को कॉल किया। डर के कारण और मार खाने के डर से उन्होंने झूठी कहानी गढ़ दी कि "कार वाले ने उनका अपहरण कर लिया था और शोर मचाने पर उन्हें छोड़कर भाग गया।"
पुलिस की छानबीन और सच की परतें
बच्चियों की बात सुनकर परिजन सहजनवां पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों और अन्य माध्यमों से लगभग दो घंटे तक जांच की, लेकिन अपहरण के कोई साक्ष्य नहीं मिले।
जब पुलिस ने बच्चियों से दोबारा पूछताछ की और परिजनों ने उन्हें समझाया कि सच बताने से कोई नाराज़ नहीं होगा, तब बच्चियों ने सच कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि वे केवल घूमने निकली थीं और रास्ता भटकने के बाद मार खाने के डर से अपहरण की झूठी कहानी बनाई थी।
परिजनों की प्रतिक्रिया
बच्चियों के परिजन इस बात से हैरान थे कि इतनी छोटी उम्र में उनके दिमाग में अपहरण की कहानी कैसे आई। परिजनों ने बच्चियों को डांटा नहीं, बल्कि प्यार से समझाया कि झूठ बोलने की आवश्यकता नहीं है।
मांट के अवधराज ने कहा, "जब मेरी बेटी प्रियांशी घर नहीं लौटी तो बहुत डर लग रहा था। कुछ समय पहले पास के गांव में दो बच्चों की हत्या हो गई थी, जिससे डर और बढ़ गया था।"
जालेपार के अजय कुमार ने बताया, "आराध्या के झूठ बोलने से हम लोग चकित थे। अब मैं उसका दोस्त बनकर बात करूंगा ताकि वह बिना डरे हर बात मुझसे शेयर कर सके।"
पुलिस का बयान
पुलिस अधीक्षक उत्तरी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया, "बच्चियों के अपहरण की सूचना मिलने के बाद पुलिस घंटों परेशान रही। जांच में कुछ नहीं मिलने पर बच्चियों से पूछताछ की गई और उन्होंने अपनी घूमने की योजना का खुलासा किया।"
सबक
यह घटना समाज के लिए एक संदेश भी है कि बच्चों के साथ संवाद और विश्वास का रिश्ता होना चाहिए। उन्हें इस तरह से समझाया जाए कि वे अपनी बातें निडर होकर बता सकें।
इस घटना ने यह भी सिखाया कि डर से गढ़ी गई झूठी कहानियाँ कभी सच को छिपा नहीं सकतीं। उम्मीद है कि ये बच्चियाँ आगे से सच बोलने का महत्व समझेंगी और परिजन भी उनसे खुलकर बातें करेंगे।