राष्ट्रीय स्तर की संवेदीकरण बैठक: पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के सुदृढ़ कार्यान्वयन पर जोर

राष्ट्रीय स्तर की संवेदीकरण बैठक: पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के सुदृढ़ कार्यान्वयन पर जोर

लिंग चयन निषेध में सकारात्मक सुधार और डिजिटल निगरानी के उपाय प्रमुख

नई दिल्ली, 06 अक्टूबर 2025।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर की संवेदीकरण बैठक आयोजित की।

बैठक में अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन, उभरती चुनौतियों का समाधान, अनुपालन सुनिश्चित करने और लक्ष्यों की पूर्ति के लिए समन्वित प्रयासों पर विशेष जोर दिया गया।


पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम: नैतिक और सामाजिक सुरक्षा

अपर सचिव एवं मिशन निदेशक (एनएचएम) सुश्री आराधना पटनायक ने कहा कि यह अधिनियम केवल कानूनी साधन नहीं बल्कि लिंग-भेदपूर्ण चयन के विरुद्ध एक नैतिक और सामाजिक सुरक्षा उपाय भी है। उन्होंने बताया कि महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली जन्म से ही अधिक मजबूत होती है, इसलिए लड़कियों का जीवित रहना स्वाभाविक रूप से लड़कों की तुलना में अधिक संभव है।

पटनायक ने इस बात पर भी जोर दिया कि समाज और अभिभावक का ध्यान लड़के या लड़की पर नहीं, बल्कि स्वस्थ बच्चे पर होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि रोकथाम संबंधी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना लिंग चयन रोकने में अधिक प्रभावी है।


सकारात्मक परिणाम: लिंगानुपात में सुधार

पटनायक ने बताया कि देश में जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) में सुधार हुआ है। 2023 की नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016-18 में प्रति 1,000 पुरुषों पर 819 महिलाएं थीं, जो वर्ष 2021-23 में बढ़कर 917 महिलाओं प्रति 1,000 पुरुष हो गई हैं। यह सुधार अधिनियम के सुदृढ़ कार्यान्वयन और संबंधित हस्तक्षेपों का परिणाम है।


डिजिटल निगरानी और IEC पहल

बैठक के उद्घाटन सत्र में “जब लड़का लड़की है बराबर, तो पूछें क्यों?” अभियान की टीवीसी, रेडियो जिंगल और पोस्टर जारी किए गए।
बैठक में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अधिनियम उल्लंघन, ऑनलाइन दुरुपयोग और धारा 22 अनुपालन पर चर्चा की गई। डिजिटल मध्यस्थों के साथ सक्रिय जुड़ाव और मजबूत अनुपालन तंत्र बनाने पर भी जोर दिया गया।


उपस्थित अधिकारी और अनुभव साझा करना

बैठक में शामिल थे:

  • संयुक्त सचिव (आरसीएच) सुश्री मीरा श्रीवास्तव

  • पीसी एवं पीएनडीटी की अतिरिक्त आयुक्त डॉ. इंदु ग्रेवाल

  • केंद्रीय मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी

  • 36 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि

  • प्रवर्तन एजेंसियां और डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रतिनिधि

तेलंगाना, हरियाणा, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात के प्रतिनिधियों ने बेहतर प्रवर्तन विधियों और चुनौतियों को साझा किया, जबकि डिजिटल मंचों से जुड़े प्रतिनिधियों ने धारा 22 अनुपालन पर खुली चर्चा की।


राष्ट्रीय स्तर की इस बैठक ने स्पष्ट किया कि पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम न केवल लिंगानुपात सुधार में योगदान दे रहा है, बल्कि डिजिटल निगरानी और प्रभावी प्रवर्तन के माध्यम से लिंग चयन रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।