"समुद्र से समृद्धि की ओर": मत्स्य पालन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और संस्थागत सुदृढ़ीकरण की नई उड़ान!

विशेष रिपोर्ट | मछुआ समुदाय की सशक्त आवाज | 30 जुलाई 2025
भारत सरकार द्वारा मत्स्य पालन क्षेत्र को तकनीकी, संरचनात्मक और प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की गई है। 28 अप्रैल, 2025 को मुंबई में आयोजित तटीय राज्य मात्स्यिकी सम्मेलन-2025 में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 255 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया गया।
मछुआरों के लिए ट्रांसपोंडर योजना — सुरक्षा व निगरानी का नया अध्याय
मत्स्यपालन विभाग अब 364 करोड़ रुपये के निवेश से भारत के 13 तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मरीन फिशिंग वेसेल्स (नावों) पर स्वदेशी ट्रांसपोंडर लगाने की दिशा में राष्ट्रीय योजना चला रहा है।
अब तक 33,674 ट्रांसपोंडर लगाए जा चुके हैं, जो मछुआरों को समुद्र में सुरक्षित रखने, निगरानी बढ़ाने और आपात स्थिति में संपर्क बनाए रखने में मदद करते हैं।
RFMCs का गठन — विवादों का समाधान अब क्षेत्रीय स्तर पर
29 मार्च 2023 को भारत सरकार ने एक सशक्त प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखते हुए पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों के लिए तीन क्षेत्रीय मात्स्यिकी प्रबंधन परिषदें (RFMCs) बनाई हैं।
इन परिषदों की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के संयुक्त सचिव और संबंधित राज्य के मत्स्य विभाग सचिव वार्षिक रोटेशन पर करते हैं — जिससे अंतर-राज्यीय मत्स्य विवादों का हल स्थानीय स्तर पर तेज़ी से किया जा सके।
गुजरात का अनोखा मॉडल — "फिशरीज़ हार्बर एंड एक्वाकल्चर डेवलेपमेंट अथॉरिटी"
गुजरात ने एक ठोस कदम उठाते हुए गुजरात फिशरीज़ एक्ट, 2003 में संशोधन कर एक विशेष प्राधिकरण गठित किया है।
"गुजरात स्टेट फिशरीज़ हार्बर एंड एक्वाकल्चर डेवलेपमेंट अथॉरिटी" राज्य के बंदरगाहों और जलीय कृषि विकास गतिविधियों की योजना, क्रियान्वयन और निगरानी का जिम्मा निभाएगी।
एक बहु-विभागीय समिति भी गठित की गई है जो पारदर्शिता और समन्वय को सुनिश्चित करेगी।
जनगणना 2025 — डेटा से दिशा की ओर
देश की समुद्री मत्स्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ICAR-CMFRI, कोच्चि के साथ मिलकर भारत सरकार ने "समुद्री मात्स्यिकी जनगणना 2025" शुरू की है।
इस डिजिटल ऐप-बेस्ड जनगणना में 13 तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मछुआरा परिवारों, गांवों, नावों, उपकरणों और इन्फ्रास्ट्रक्चर की जियो-रेफरेंस्ड जानकारी एकत्र की जा रही है।
विशेष रूप से गुजरात में 70,000 से अधिक मछुआरा परिवारों को कवर करते हुए 280 समुद्री मत्स्यन गांवों में डेटा संग्रह किया जाएगा।
VyAS-NAV जैसे वेब प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन इस प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बना रहे हैं।
समापन संदेश:
भारत का मत्स्य क्षेत्र सिर्फ भोजन का स्रोत नहीं, बल्कि आर्थिक उन्नति, जैव विविधता संरक्षण और तटीय जीवनशैली का आधार है।
भारत सरकार की यह पहल न केवल मछुआरों की आजीविका को सुरक्षा और सम्मान देगी, बल्कि देश को ब्लू इकोनॉमी के पथ पर तेज़ी से आगे बढ़ाएगी।
"समुद्र से समृद्धि की ओर" — ये सिर्फ नारा नहीं, भारत के तटीय विकास की नई पहचान है!