लेफ्टिनेंट कर्नल नीरज चोपड़ा: मैदान से सीमाओं तक – देशभक्ति की नई पहचान

लेफ्टिनेंट कर्नल नीरज चोपड़ा: मैदान से सीमाओं तक – देशभक्ति की नई पहचान
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रादेशिक सेना में मानद पद का प्रतीक चिन्ह प्रदान किया, कहा – "नीरज भारतीय जज़्बे की मिसाल हैं"

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2025।
साउथ ब्लॉक के भव्य प्रांगण में आज देशभक्ति, गौरव और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिला — जब भारत के स्टार भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा को प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) के रूप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने औपचारिक तौर पर पिपिंग प्रतीक चिन्ह प्रदान किया। यह क्षण केवल एक खिलाड़ी के सम्मान का नहीं, बल्कि एक सपूत की मातृभूमि के प्रति निष्ठा का उत्सव था। समारोह में उपस्थित थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी समेत सेना और प्रादेशिक सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस गौरवपूर्ण पल का साक्षी बने। राजनाथ सिंह ने नीरज को संबोधित करते हुए कहा —

“लेफ्टिनेंट कर्नल (मानद) नीरज चोपड़ा दृढ़ता, देशभक्ति और उत्कृष्टता के भारतीय मूल्यों के प्रतीक हैं। उन्होंने न केवल खेल के मैदान में स्वर्णिम इतिहास रचा, बल्कि अपने अनुशासन और समर्पण से देश के युवाओं के लिए प्रेरणा की नई मिसाल कायम की है।”

मैदान के महारथी से सेना के सेनानी तक

हरियाणा के पानीपत ज़िले के खंडरा गाँव में 24 दिसंबर 1997 को जन्मे नीरज ने खेतों की मिट्टी से निकलकर टोक्यो ओलंपिक 2020 में इतिहास रचा। वे ट्रैक एंड फील्ड में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने। इसके बाद पेरिस ओलंपिक 2024 में रजत, विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण, और एशियाई व कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्णिम लहर कायम रखी।

उनका 90.23 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो (2025) भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में मील का पत्थर बन गया।
2016 में राजपूताना राइफल्स में भर्ती होने के बाद से ही नीरज ने देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नई दिशा दी।

राष्ट्र गौरव की नई परतें

नीरज चोपड़ा को पहले ही पद्मश्री, मेजर ध्यानचंद खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, परम विशिष्ट सेवा पदक और विशिष्ट सेवा पदक जैसे सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
16 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें मानद कमीशन प्रदान किया था — और आज उस सम्मान का औपचारिक प्रतीक चिन्ह उनके सीने पर चमक उठा। नीरज चोपड़ा अब केवल खेल के नायक नहीं — वे अब राष्ट्रीय अनुशासन, समर्पण और साहस की पहचान हैं।
उनकी यात्रा यह संदेश देती है कि –

“जो खिलाड़ी मिट्टी को स्वर्ण में बदलना जानता है, वही सिपाही वतन की मिट्टी की हिफ़ाज़त करना भी जानता है।”